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इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की हरी झंडी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की राह खुल गई है। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इसका फैसला लिया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 01:55 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 01:55 PM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की हरी झंडी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की हरी झंडी

प्रयागराज : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध संघटक महाविद्यालयों में भी अब शोध कार्य किए जा सकेंगे। कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू की अध्यक्षता में हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इसका फैसला किया गया। बैठक में विश्वविद्यालय के 42 विभागों के विभागाध्यक्ष, चारों संकाय के डीन, रजिस्ट्रार, डीएसडब्लू और कई कॉलेजों के प्रिंसिपल समेत 60 लोग शामिल हुए। सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से कॉलेजों में पीएचडी कराने के फैसले पर सहमति दी। हालांकि महाविद्यालयों को यह यात्रा पूरी करने में लगभग 50 वर्ष लग गए। इसके पीछे तमाम लड़ाइयां भी लडऩी पड़ीं।

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 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू ने विगत माह जगदंबा सिंह के निर्देशन में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने सारे कॉलेजों का दौरा किया था। कुछ दिन पहले ही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। एकेडमी काउंसिल की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव अब पास कर दिया गया है। अब कॉलेज अपने स्तर पर शोध प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेंगे। पीएचडी में प्रवेश का आधार संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा होगी।

एक गाइड के अंडर में आठ शोधार्थी करेंगे पीएचडी

कॉलेज में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के निर्देशन में पांच और एसोसिएट प्रो. के निर्देशन में आठ विद्यार्थी शोध कर सकेंगे। राजर्षि टंडन गल्र्स डिग्री कॉलेज को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसके पीछे कारण आधारभूत संरचना, स्टाफ  और छात्रों की संख्या पर्याप्त न होना है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. चित्तरंजन कुमार ने बताया कि जो कॉलेज सालों से पक्षपात का शिकार थे, आज वे विश्वविद्यालय के समकक्ष आ गए हैं। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में कई कॉलेजों ने इस बात को उठाया कि सेल्फ फाइनेंस कोर्स को रेगुलर मोड में किया जाए। इसके लिए कुलपति ने एक कमेटी का गठन कर दिया है।

हिंदी विभाग में 60 सीटों पर होगा शोध में प्रवेश

एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि हिंदी विभाग में शोध की 60 सीटें बढ़ाई जाएं। अभी तक विभाग में शिक्षकों की कमी के कारण शोध कार्य नहीं हो पाते थे। अब शिक्षकों की पर्याप्त संख्या हो गई है। जल्द ही प्रवेश के लिए 60 सीटों पर विज्ञापन निकाला जाएगा। ये सीटें सत्र 2017-2018 के लिए होंगी।

किस कॉलेज को इन विषयों में मिली पीएचडी

इलाहाबाद डिग्री कॉलेज :  हिंदी, रक्षा अध्ययन व अर्थशास्त्र।

चौधरी महादेव प्रसाद : बॉटनी, जूलॉजी, केमेस्ट्री, कॉमर्स, लॉ, हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, ज्योग्राफी, एजुकेशन, प्राचीन इतिहास, पॉलिटिकल साइंस।

ईश्वर सरन डिग्री कॉलेज: हिंदी, इंग्लिश, प्राचीन इतिहास विभाग, मध्यकालीन इतिहास, सोशियोलॉजी, पॉलीटिकल साइंस, डिफेंस स्टडीज, एजुकेशन, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स।

यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज :  इकोनॉमिक्स, दर्शनशास्त्र, पॉलीटिकल साइंस, एजुकेशन, बॉटनी, केमेस्ट्री, फिजिक्स।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी : पॉलिटिकल साइंस, डिफेंस, कॉमर्स। 

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज : पॉलिटिकल साइंस, एजुकेशन।

जगत तारन कॉलेज :  संस्कृत।

हमीदिया गल्र्स डिग्री कॉलेज:  उर्दू।

एसएस खन्ना गल्र्स डिग्री कॉलेज : हिंदी, प्राचीन इतिहास,  सोशियोलॉजी, बॉटनी, केमिस्ट्री, व जूलॉजी।

क्या कहते हैं एयू के कुलपति

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू का कहना है कि वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय व कॉलेजों को शोध और ज्ञान का केंद्र बनाना चाहता हूं। हम कॉलेज की हरसंभव और हर स्तर पर सहायता करेंगे। कोई भी व्यक्ति यूनिवर्सिटी को जकड़ कर नहीं रख सकता। हम चाहते हैं कि सब पढ़ें, सब आगे बढ़ें। हम विश्वविद्यालय में संस्थागत सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमने आगे बढऩे का एजेंडा तय कर लिया है।


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