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इलाहाबाद हाई कोर्ट में डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भरने के लिए याचिका दाखिल

इलाहाबाद हाई कोर्ट में उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के चार हजार पदों को भरने की मांग में याचिका दाखिल की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 10:10 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 10:10 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट में डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भरने के लिए याचिका दाखिल
इलाहाबाद हाई कोर्ट में डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भरने के लिए याचिका दाखिल

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के चार हजार पदों को भरने की मांग में याचिका दाखिल की गई है। हाई कोर्ट ने याचिका पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग जानकारी मांगी है। कोर्ट ने आयोग के अधिवक्ता से एक सितंबर मंगलवार को सुबह 10 बजे 1992 में हुए कानून संशोधन पेश करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है।

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याची अधिवक्ता सत्येंद्र त्रिपाठी का कहना है कि याचीगण असिस्टेंट प्रोफेसर पद की नियुक्ति की अर्हता रखते हैं। डिग्री कालेजों में 2014 में असिस्टेंट प्रोफेसर के 3,974 पद खाली थे। खाली पदों को भरने की मांग मे याचिकाएं दाखिल की गयी। मुख्य सचिव ने हलफनामा दाखिल करके बताया कि मार्च 2014 तक पद विज्ञापित करके मई 2014 में परीक्षा कराकर 2014-15 शिक्षासत्र में विषय वार नियुक्तियां कर दी जाएंगी। सरकार की संस्तुति पर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने 2014 में 1652 पद और मार्च 2016 मे 1150 पद की भर्ती निकाली।

याची अधिवक्ता का कहना है कि इसके बाद खाली पदों को भरने की कार्रवाई रुकी है, जबकि उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग एक्ट में प्रति वर्ष के रिक्त पदों पर चयन करने की व्यवस्था दी गयी है। वहीं, आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि याची की भर्ती निकालने की मांग का अधिकार नहीं है। सरकार द्वारा संस्तुति मिलने पर आयोग भर्ती के लिए तैयार है। यह भी कहा कि हर वर्ष की रिक्तियों पर भर्ती के नियम 1992 में संशोधित कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने संशोधन कानून पेश करने का निर्देश दिया है।


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