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प्रयागराज की इस बस्ती में शाम ढलने से पहले हो जाता है डिनर, जानिए इसकी वजह

यमुनापार के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की यह बस्ती कोरांव तहसील के लेडिय़ारी बाजार के पास में स्थित है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित इस बस्ती में ज्यादातर लोग झोपड़ी में रहते हैैं। मजदूरी कर किसी तरह जीवन यापन करते हैैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 01:49 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 01:49 PM (IST)
प्रयागराज की इस बस्ती में शाम ढलने से पहले हो जाता है डिनर, जानिए इसकी वजह
बस्‍ती के लोग अंधेरा होने के पहले ही भोजन कर लेते हैैं।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज की एक बस्ती ऐसी बस्ती है जहां इन दिनों रात का भोजन शाम के पहले ही कर लिया जाता है। लगभग एक हजार की आबादी वाली इस बस्ती में इन दिनों अजीब सा माहौल है। इसकी वजह बस्ती के ग्रामीण विद्युत विभाग को मानते हैैं। ग्रामीणों के मुताबिक विद्युत विभाग ने जैसे बस्ती वालों पर कहर बरपा दिया हो। विभाग ने इस बस्ती में पांच साल पहले विद्युतीकरण तो कराया था मगर अब बिजली की सप्लाई ही बंद कर दी। इसके कारण बस्ती के सैकड़ों लोग रात अंधेरे में गुजारने को विवश हैैं। यही वजह है कि बस्ती के लगभग सभी घरों में रात का भोजन शाम के पहले ही बन जाता है और लोग अंधेरा होने के पहले ही भोजन कर लेते हैैं।

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बिजली विभाग ने काट दी पूरे इलाके की बिजली

यमुनापार के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की यह बस्ती कोरांव तहसील के लेडिय़ारी बाजार के पास में स्थित है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित इस बस्ती में ज्यादातर लोग झोपड़ी में रहते हैैं। मजदूरी कर किसी तरह जीवन यापन करते हैैं। यहां राजीव गांधी योजना के तहत वर्ष 2015 में तार-खंभा लगाया गया। यही नहीं निश्शुल्क ही लोगों को होल्डर, बल्व व बोर्ड आदि भी दिए गए थे। उस समय राशन कार्ड से लेकर आधार तक विभाग ने लोगों से जमा कराया था। लगभग पांच साल तक तो ग्रामीïïणों को बिजली मिली। मगर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों ने 23 नवंबर 2020 को पूरे बस्ती की सप्लाई ही काट दी।

बस्ती में बिजली कट जाने से अंधेरे मे रहने से विवश होना पड़ रहा है। बस्ती के रामसूरत, बिंदेश्वरी प्रसाद, जय प्रकाश, शंकर लाल, रमेश कुमार, राम सजीवन, संगीता देवी का कहना है कि यहां 10-10 केवीए के चार ट्रांसफार्मर योजना के तहत लगाए गए थे। तार और खंभे लगाए गए थे। बल्व आदि भी दिए गए थे मगर अब बिना सूचना के ही बिजली काट दी गई। अब लोग मोमबत्ती, डीजल की ढिबरी के सहारे रात काटने को मजबूर हैैं। गरीब मजदूर सूर्य डूबने के पूर्व ही खाना बनाकर अंधेरा होने के पहले ही भोजन कर चारपाई पकड़ लेते हैैं। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता सुशील कुमार केशरवानी का कहना है कि विद्युत विभाग के इस रवैये से लोगों में काफी आक्रोश है।


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