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120 गांव के लोग आते हैं इलाज कराने लेकिन प्रयागराज के सीएचसी रामनगर में निकल रही सरकारी दावों की हवा

यमुनापार के उरुवा ब्लाक अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर की अपनी अलग पहचान है। मेजा तहसील के तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेजा व मांडा से कहीं ज्यादा मरीज रामनगर सीएचसी पहुंचते हैं। इस सीएचसी पर 120 गांवों की आबादी की स्वास्थ्य रक्षा का बोझ है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 08:18 AM (IST)
120 गांव के लोग आते हैं इलाज कराने लेकिन प्रयागराज के सीएचसी रामनगर में निकल रही सरकारी दावों की हवा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर के हालात तो अफसरों के दावे की हवा निकाल रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। ग्रामीणों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकार की पहल सीएमओ कार्यालय के कागजों तक ही सीमित है। स्वास्थ्य सुविधाओं के कदम गांवों तक पहुंच ही नहीं पा रहे। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर के हालात तो अफसरों के दावे की हवा निकाल रहे हैं। न अल्ट्रासाउंड मशीन न आक्सीजन की व्यवस्था। कोई बड़ा आपरेशन होने की नौबत आए तो रेफर ही एकमात्र विकल्प है। सीएचसी रामनगर के हालात बयां कर रहे हैं रवि गुप्ता-:

120 गांव के ग्रामीणों की जिम्मेदारी और व्यवस्था कागजों पर
यमुनापार के उरुवा ब्लाक अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर की अपनी अलग पहचान है। मेजा तहसील के तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेजा व मांडा से कहीं ज्यादा मरीज रामनगर सीएचसी पहुंचते हैं। इस सीएचसी पर 120 गांवों की आबादी की स्वास्थ्य रक्षा का बोझ है। लेकिन चिकित्सा स्टाफ की कमी और अव्यवस्थाओं के चलते इलाज किसी को मिल पाता है किसी को नहीं। कोरोना के भय के चलते यहां ग्रामीण भी नहीं आ रहे और डाक्टर भी अक्सर नदारद रहते हैं। इसके अंर्तगत सिरसा, चिलबिला व शुक्लपुर नवीन स्वास्थ्य केंद्र है। सिरसा पीएचसी के तहत छह और चिलबिला एवं शुक्लपुर पीएचसी के तहत नौ-नौ उपकेंद्र है। इसके बावजूद ग्रामीणों को इलाज के लिए शहर जाना पड़ता है।
 
चार डाक्टरों में एक की तैनाती शहर में
सीएचसी रामनगर में दो महिला एवं दो पुरुष डाक्टरों की तैनाती है। इनमें एक महिला डाक्टर पूजा कुशवाहा की कोविड ड्यूटी शहर में है।

जगह-जगह गंदगी के ढेर
अस्पताल में सफाई के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति है। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। यहां केवल एक सफाई कर्मी की तैनाती है। काम चलाने के लिए प्राइवेट सफाई कर्मी भी लगे हैं लेकिन दिक्कतें फिर भी हैं।

आवास की छत से टपकता है पानी
सीएचसी को नए भवन में शिफ्ट किया गया है। लेकिन डाक्टरों के रहने के लिए नए आवास अब तक नहीं बन सके। लोगों को जर्जर आवासों में ही रहने की मजबूरी है। इनकी छतों से पानी टपकता रहता है। इसके चलते कई स्टाफ तो शाम होते ही शहर के लिए रवाना हो जाते हैं। चार दिन पहले सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी ने अस्पताल का निरीक्षण किया था तो अधीक्षक सहित अन्य लोगों से शिकायत मिलने पर सांसद ने एसडीएम मेजा रेनू ङ्क्षसह को समस्या के समाधान के लिए कहा था। सोमवार को संबंधित विभाग के अवर अभियंता ने अस्पताल परिसर पहुंच कर जर्जर भवनों का जायजा लिया है।

अस्पताल से मिली दवा
सोमवार को अस्पताल में इलाज कराने पहुंची ऊंचडीह निवासी रामरती देवी व मिश्रपुर निवासी राम भुवन ने बताया कि उन्हें दवा अस्पताल से ही मिली है  लेकिन यहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिली।  


पीएचसी चिलबिला में बांधते हैं मवेशी
पीएचसी चिलबिला में स्थानीय लोग आए दिन अपने मवेशी बांध देते हैं। कमरों में कंडे रख देते हैं। अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था तो दूर, इसमें तैनात तीन चिकित्सा कर्मियों में दो को शहर के अस्पताल में लगा दिया गया है। जिससे अन्य लोगों को दिक्कत है।

बड़े केस ही करते हैं रेफर
अस्पताल में मरीजों का हर संभव इलाज किया जाता है। मैन पॉवर कम है इसके लिए पत्राचार कर उच्चाधिकारियों को बताया जा चुका है। अस्पताल में आक्सीजन प्लांट नहीं है। आपरेशन के बड़े केस ही शहर के लिए रेफर किए जाते हैं। क्योंकि शहर के अस्पतालों में चिकित्सा संसाधन अच्छे होते हैं।
डा. वाईपी सिंह, अधीक्षक

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