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जुर्माने का लगा है बोर्ड, मगर बेपरवाह हैं लोग, गंगा नदी में फैला रहे गंदगी

वन विभाग ने घाटों के किनारे साबुन का इस्तेमाल करने पर जुर्माना का बोर्ड तो लगा रखा है। इसके बाद भी लोग साबुन का इस्तेमाल कर रहे हैं। घाट पर कचरा फेंककर चले जाते हैं। साबुन व शैंपू में केमिकल होता है जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:56 PM (IST)
लोगों को जागरूक करने का बोर्ड तो लगा है, लेकिन यह केवल शो पीस बना है।

प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी में गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने के लिए शासन व प्रशासन भले ही बड़े-बड़े दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। नदी को दूषित करने पर जुर्माना लगाने व स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने का बोर्ड तो लगा है, लेकिन यह केवल शो पीस बना है। घाटों पर लोग गंदगी फैला रहे हैं। इसकी रोकथाम न होने पर समाज सेवी ने पूर्व में स्थानीय निगरानी समिति का गठन की मांग की थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। गंगा घाटों में फैली गंदगी से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। 

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गंगा सुरक्षा समिति भी है उदासीन

  गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए जिला स्तर पर गंगा सुरक्षा समिति बनी है। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी, सचिव प्रभागीय वनाधिकारी के अलावा 13 सदस्य भी हैं। समिति की जिम्मेदारी है कि वह गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर लोगों को जागरूक करें। ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाए। साथ ही घाटों पर स्नान के लिए आने वाले लोगों को गंगा को प्रदूषित न करने और साबुन और शैंपू आदि को प्रयोग न करें, लेकिन विभाग का यह अभियान केवल हवा हवाई साबित हो रहा है। वन विभाग ने घाटों के किनारे साबुन का इस्तेमाल करने पर जुर्माना का बोर्ड तो लगा रखा है। इसके बाद भी लोग खुलेआम साबुन  का इस्तेमाल कर रहे हैं। घाट पर कचरा फेंककर चले जाते हैं। साबुन व शैंपू में केमिकल होता है जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है और जलीय जीव को नुकसान होता है। गंगा जल को लोग बोतलों में भर कर ले जाते हैं। अशुद्ध जल को लोग सालों साल इसका प्रयोग शुभ कार्यों में करते है।

स्थानीय समिति के गठन पर नहीं दिया गया ध्यान

 गंगा सुरक्षा समिति के सदस्य विनय पांडेय ने बताया कि उन्होंने पूर्व में सिराथू एसडीएम से मांग की थी कि गंगा की स्वच्छता के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए, जिससे समिति के सदस्य गंगा नदी में किए जा रहे साबुन, सैंपू आदि के प्रयोग को रोके और घाटों की सफाई करें, लेकिन अब तक स्थानीय निगरानी समिति का गठन नहीं किया है। इसकी वजह से लोग स्नान के दौरान गंगा नदी में प्रदूषण फैला रहे हैं।


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