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ऑक्सीजन के लिए पौधारोपण करने लगे अब लोग, मकान की छत, बालकनी और आंगन में बना रहे बगिया

एनसीआर के जनसंपर्क कार्यालय में तैनात एसजे रहमानी करेली के जीटीबी नगर में रहते हैं। वह बताते हैं कि उनके घर की बगिया में अशोक अमरूद पपीता मीठी नीम व तुलसी समेत कई औषधीय पौधों समेत फलदार व छायादार पौधे लगाए हैं। उनकी देखरेख और सींचना दिनचर्या में शामिल है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 02:02 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 02:02 PM (IST)
ऑक्सीजन के लिए पौधारोपण करने लगे अब लोग, मकान की छत, बालकनी और आंगन में बना रहे बगिया
मीरापुर निवासी प्रिया सहगल ने आक्सीजन बैंक के लिए अपने घर की छत पर ही खूबसूरत बगिया बना ली

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी देख लोग सजग हो गए हैं। लोग अब अपने घर, बाग, बगीचे और खाली जगह में ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने पर जोर दे रहे हैं। किसी ने अपने घर की छत को बगिया बना लिया है तो कोई अपने मकान की आंगन में पौधों की देखरेख के साथ अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहा हैं। यह सब इसलिए ताकि भविष्य में ऑक्सीजन की कमी से भयावह मंजर न देखने को मिले।

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ऑक्सीजन बैंक के लिए प्रिया ने छत को बना लीं बगिया

 पर्यावरण से बेहद लगाव रखने वाली मीरापुर निवासी प्रिया सहगल ने आक्सीजन बैंक के लिए अपने घर की छत पर ही खूबसूरत बगिया बना ली हैं। इस बगिया में लगभग हर प्रजाति के पौधे हैं। वह घर की साग-सब्जी एवं फल के छिलके को कूड़े में फेंकने के बजाय छत पर ही उससे कंपोस्ट खाद बनाती हैं और उस खाद को पौधों की वृद्धि के लिए उपयोग करती हैं। उनका मानना है कि बच्चों का पालन-पोषण किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा सरोकार होता है। लेकिन, पर्यावरण के दूषित होने के कारण ही हमारा और बच्चों का स्वास्थ्य जोखिम भरा होता जा रहा है। सूखे तालाब में यदि कुछ हजार अथवा लाख लोग सिर्फ एक-एक पानी डालें तो तालाब लबालब भर जाए। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए वह भी बहु प्रजातीय पौधों से एक बगिया सजाई हुई हैं। इनकी बगिया में फल-फूल के अतिरिक्त औषधीय, पत्तेदार एवं कैक्टस के पौधे हैं। वह कहती हैं जमीन की अनुपलब्धता के कारण हम अपनी छत, वाल्कनी अथवा किसी रोशन कोने में ही गमलों में पौधे उगा सकते हैं। इन्होंने इस अभियान का नाम रखा है नेचर, नेचर। वह अपने इस अभियान को पांच मंत्रों रिफ्यूज, रिड्यूज, रीयूज, री-पर्पज और रिसाइकिल के भरोसे आगे बढ़ा रही हैं। तरह-तरह और बहुरंगी पौधों के बीच इनके द्वारा निॢमत फौव्वारा बहुत सम्मोहक है। वह कई लोगों के बगीचों और छतों को सुंदर व आकर्षक बना चुकी हैं।

ऑक्सीजन की किल्लत के बाद आंगन में पौधों की संख्या बढ़ा दी

एनसीआर के जनसंपर्क कार्यालय में तैनात एसजे रहमानी करेली के जीटीबी नगर में रहते हैं। वह बताते हैं कि उनके घर की बगिया में अशोक, अमरूद, पपीता, मीठी नीम व तुलसी समेत कई औषधीय पौधों समेत फलदार व छायादार पौधे भी लगाए हैं। उनकी देखरेख और उन्हें सींचना दिनचर्या में शामिल है। कोरोना काल में ऑक्सीजन की किल्लत को देखकर उनका मन विचलित हो उठा। उन्होंने अपने आंगन में पौधों की संख्या बढ़ाई है। अब वह आसपास के लोगों को भी धरती पर हरियाली बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत बनाना जरूरी

कोरोना ने हम सब को पर्यावरण का महत्व बखूबी समझाया है। हर कोई जान गया है कि ऑक्सीजन सिलिंडर ढोने से अच्छा है कि अपने हिस्से की ऑक्सीजन खुद पैदा की जाए। धरा पर यदि हरियाली बढ़ेगी तो ऑक्सीजन का स्तर असानी से बढ़ेगा। इसी के साथ पारिस्थितिक तंत्र को भी मजबूती मिलेगी। यह कहना है एमेटी यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर व अल्लापुर निवासी डॉ. निधि शुक्ला का। उन्होंने बताया कि इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ईको सिस्टम रिस्टोरेशन है। अर्थात नष्ट हो चुके पारिस्थितिक तंत्र को सुधारना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे।


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