सिविल लाइंस में 'बूढ़े दरख्तों' को हरियाली की दरकार
जागरण संवाददाता,इलाहाबाद : मै शहर के आन- बान और शान वाले प्रतीक स्थलों का मूक गवाह हू
जागरण संवाददाता,इलाहाबाद :
मै शहर के आन- बान और शान वाले प्रतीक स्थलों का मूक गवाह हूं। यहां कई दशकों से हरियाली देता रहा हूं, मै लोगों के जीवन का भी आधार हूं। लेकिन मुझ बूढ़े दरख्त को अब अपने ही जीवन की दरकार है। पत्थरों की सुंदरता को बढ़ाने में किसी ने मेरा मोल न समझा । अब मै जीवन और मृत्यु के कगार पर हूं।
यह पीड़ा सिविल लाइंस क्षेत्र में पत्थरों के बीच जकड़े निरीह वृक्षो की है। चंद्रशेखर आजाद पार्क में पत्थरों के बीच जकड़े पेड़ों की व्यथा पर कई दिनों से हो रहे सवाल केवल इसी स्थान तक सीमित नही रहे बल्कि कुछ और स्थानों में भी सुंदरता बढ़ाने के चक्कर में जिम्मेदारों ने हरियाली तहस- नहस कर दी। इसका एक अन्य प्रमाण सिविल लाइंस परिक्षेत्र भी है। हालात यह हैं कि यहां फुटपाथों पर ही कंकरीट और पत्थरों के बीच जकड़े पेड़ नष्ट हो रहे हैं। पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं। यह हमारे जीवन का आधार हैं। लेकिन प्राकृतिक सुंदरता को छोड़कर हम अन्य सुंदरता को बढ़ावा दे रहे हैं।
दैनिक जागरण द्वारा पेड़ों की दुर्दशा पर लगातार एक अभियान चलाया गया। अभियान में पेड़ों की पीड़ा देखने को मिली। सिविल लाइंस में आधुनिक साज सज्जा बढ़ाने का काम कई सालों से चल रहा है। यहां सुभाष चौराहे से लेकर जीआईसी और पत्थर गिरिजा घर मार्ग में दर्जनों स्थानों में पेड़ों की यही दुर्दशा देखने को मिल रही है। यहां भी थाले बनाए नही गए हैं। थालों का आकार एक मीटर लंबा, एक मीटर चौड़ा एवं एक मीटर गहरा होना चाहिए। जहां थाले बनाए भी गए हैं वहां मानक पूरा नही किया गया है।
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हम भी हैं साथ- साथ
दैनिक जागरण ने पेड़ों के नष्ट होने का एक बेहतर विषय उठाया है। सिविल लाइंस क्षेत्र में भी हरियाली पर संकट है।
प्रशांत शर्मा
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प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाने का कोई प्रयास सिविल लाइंस क्षेत्र में भी नही किए गया है। यहां भी पेड़ों के अस्तित्व पर गहरा संकट है।
नीलेश कुशवाहा
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सिविल लाइंस में भी कई सालों से आधुनिक साज सज्जा बढ़ाई जा रही है पर यहा भी सैकड़ों पेड़ बर्बाद हो रहे हैं। प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
हरी शंकर मिश्र
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समय- समय पर सिविल लाइंस क्षेत्र में निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। यहां के पेड़ों के संरक्षण के लिए भी ध्यान देना चाहिए।
संदीप केशरवानी