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पीसीएस-जे परीक्षा से 41 फीसद अभ्यर्थियों ने किया किनारा, सवालों में दिखा नयापन

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी की ओर से रविवार को प्रदेश के चार जिलों में हुई पीसीएस जे 2018, की प्रारंभिक परीक्षा में 59.01 फीसद अभ्यर्थी शामिल हुए

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 08:41 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 10:26 PM (IST)
पीसीएस-जे परीक्षा से 41 फीसद अभ्यर्थियों ने किया किनारा, सवालों में दिखा नयापन
पीसीएस-जे परीक्षा से 41 फीसद अभ्यर्थियों ने किया किनारा, सवालों में दिखा नयापन

जेएनएन, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी की ओर से प्रदेश के चार जिलों में हुई पीसीएस जे 2018, की प्रारंभिक परीक्षा में 59.01 फीसद अभ्यर्थी शामिल हुए। परीक्षा दो पालियों में हुई। अभ्यर्थियों पर नजर बनाए रखने के लिए यूपीपीएससी और जिला प्रशासन के स्टैटिक व सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने सतर्कता बरती तो परीक्षा कक्षों में हर एक की ओएमआर शीट जमा कराने के बाद ही अभ्यर्थियों को बाहर जाने दिया गया। यूपीपीएससी ने यह दावा किया है कि चारों जिलों में कहीं किसी प्रकार का व्यवधान नहीं रहा।

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610 रिक्त पदों पर होगी भर्ती 

उप्र न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) यानी पीसीएस जे 2018, की प्रारंभिक परीक्षा सिविल जजों के कुल 610 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए हुई। पदों की यह संख्या यूपीपीएससी की ओर से इससे पहले कराई जा चुकी पीसीएस जे की परीक्षा में सर्वाधिक है। इन पदों पर चयन पाने के लिए कुल 64691 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था जिसमें परीक्षा में 38174 अभ्यर्थी ही शामिल हुए जो कुल पंजीकृत आवेदनों का 59.01 फीसद रहा। विभिन्न कारणों से 41.99 फीसद अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ दी। परीक्षा लखनऊ, आगरा, मेरठ और प्रयागराज में कुल 141 केंद्रों पर पहली पाली में सुबह 9:30 से 11:30 और दोपहर की पाली में 2:30 से 4:30 बजे तक हुई।

माइनस मार्किंग की व्यवस्था 

बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित इस परीक्षा में माइनस मार्किंग की व्यवस्था लागू रही। प्रश्नों के उत्तर अभ्यर्थियों ने ओएमआर शीट पर दिए। पहला प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन और दूसरा विधि शास्त्र पर आधारित रहा। प्रश्नपत्र में यूपीपीएससी के विशेषज्ञों ने प्रश्नों का चयन तो सामान्य रूप से किया था लेकिन, विधि के प्रश्नों में पहले की परीक्षाओं की अपेक्षा मामूली रूप से दोहराव भी दिखा। सचिव जगदीश ने बताया कि ओएमआर शीट लेकर भागने या अन्य किसी गड़बड़ी के प्रकरण किसी जिले या केंद्र से नहीं मिले। परीक्षा शुचिता पूर्ण रही।

देश के किस राज्य में सर्वाधिक भिखारी?

पीसीएस जे (प्रारंभिक) परीक्षा 2018, में प्रश्नों का उत्तर देने में अभ्यर्थियों को पसीने छूट गए। जीएस यानी सामान्य अध्ययन के प्रश्नों में अभ्यर्थियों को कठिनाई महसूस हुई। लॉ के प्रश्नपत्र में संविधान और शीर्ष कोर्ट के हालिया निर्णयों पर अभ्यर्थियों का नजरिया जानने की अधिकता रही। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से 23 मार्च 2018 को देश में भिखारियों के विषय में हुए सर्वेक्षण पर आधारित प्रश्न भी पूछा किया जिसमें अभ्यर्थियों को बताना था कि किस राज्य में भिखारियों की संख्या सर्वाधिक है। वहीं सबरी माला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और मी टू अभियान पर युवाओं का नजरिया भी जाना गया।

प्रश्नों में नयापन रहा

प्रथम पाली में सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र 150 प्रश्नों का रहा और सभी प्रश्न एक-एक अंक के रहे। दूसरी पाली में लॉ के प्रश्नपत्र में 150 प्रश्न दो-दो अंकों के रहे यानी इसमें पूर्णांक कुल 300 अंक रहा। पीसीएस जे परीक्षा में तीसरी बार शामिल हुईं अभ्यर्थी आकांक्षा सिंह के अनुसार जीएस के प्रश्नपत्र का स्तर पहले की अपेक्षा ऊंचा रहा। यानी इसमें नए और कठिन प्रश्नों का चयन किया गया था। बताया कि लॉ के प्रश्नपत्र में पिछली परीक्षाओं के कई प्रश्नों का दोहराव रहा। दूसरी बार शामिल हुए देवेश त्रिपाठी के अनुसार प्रश्नों में 2018 में वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान, भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत केंद्रीय बजट पेश किया जाता है, कौशल-विकास व उद्यमिता मंत्री की ओर से 'हुनर उपहार में दें' की अपील किस अवसर पर की गई, जैसे प्रश्न अहम रहे। अभ्यर्थी माधवी ने कहा कि सामान्य अध्ययन में सम सामयिक प्रश्नों के अलावा भारत या विश्व में मिलने वाले बड़े पुरस्कारों, शीर्ष कोर्ट के हाल में ही हुए कुछ अहम निर्णयों और सांविधानिक मसलों पर प्रश्न नए तरीके से बनाए गए थे तो अभ्यर्थी शोभित ने बताया कि इतिहास, राजनीति शास्त्र, खाद्य सुरक्षा मानक नियम 2015, हमारा स्वास्थ्य हमारी आवाज अभियान, पृथ्वी में सबसे मजबूत बल जैसे प्रश्नों में नयापन रहा। 

परिणाम जल्द जारी करने की बाध्यता

यूपीपीएससी के सामने पीसीएस जे 2018 प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जल्द जारी करने और मुख्य परीक्षा भी तय समय में कराने की बाध्यता रहेगी। न्यायिक सेवा में जजों की कमी के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट और शीर्ष कोर्ट भी यह निर्देश दे चुका है कि 610 पदों पर भर्ती मई 2019 तक की जाए। ऐसे में प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में आने की संभावना है। 


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