'बीमार' पड़े कर्मचारी बीमा चिकित्सालय का इलाज जरूरी
कर्मचारी राज्य बीमा अस्पताल खुद बीमार है। ऐसे में कर्मचारियो को परेशानी का सामना करना पड़ता हे। जितने डाक्टर व कर्मचारी होने चाहिए, उतने है नहीं। इसका असर अस्पताल के कामकाज पर पड़ रहा है।
जासं, इलाहाबाद : कंपनियों में काम करने वाले बीमार कर्मचारियों को यदि इलाज कराना हो तो उसके लिए बाहर न जाने पड़े। इसके लिए नैनी में कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय बनाया गया। हालांकि, चिकित्सालय में डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी और दवाइयों के अभाव में सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है। छोटी-छोटी बीमारी के लिए कई दिन तक इलाज होता है। दवा कब खानी है। इसके बारे में बताने वाला कोई नहीं है। नैनी औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए यह भी जरूरी है कि कर्मचारी बीमा चिकित्सालय में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त रहें।
नैनी औद्योगिक क्षेत्र का खोया हुआ अस्तित्व वापस दिलाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। धीरे-धीरे इसके परिणाम सामने आ रहे हैं। कर्मचारियों की सुविधा के लिए कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय भी है, लेकिन बीमार कर्मचारियों या उनके परिवार के लोगों को यहां पर जो सुविधा मिलनी चाहिए। वह मिल नहीं पा रही है। डॉक्टर से लेकर वार्ड ब्वॉय तक की कमी है। इसलिए मरीजों की सही देखभाल नहीं हो पा रही है। दवा उन्हें कब खानी चाहिए, बताने वाला कोई नहीं है। महिला प्रसव के लिए तो कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसलिए कर्मचारियों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। तीमारदार डॉक्टरी की कमी की शिकायत भी करते हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। अस्पताल में सस्ती दवाएं तो मिल जाती हैं, महंगाई दवाइयां बाहर से लानी पड़ती हैं।
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बीमार लोगों के बोल
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कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय में बीमार लोगों की देखभाल अच्छे से नहीं होती है। दवा देने वाला कोई नहीं होता है। महंगी दवा बाहर से लानी पड़ती है। शिकायत करने पर कोई सुनता नहीं है। इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता है। सालों से ऐसा ही हाल चल रहा है।
-उमर अब्बास, दरियाबाद
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पेट में दर्द था। बुखार था। चार दिन पहले यहां भर्ती हुआ। मुझे लगता है कि यहां आकर गलती कर दी। क्योंकि मरीज देखरेख करने वाला कोई नहीं है। ईएसआइसी इसलिए कटता है, ताकि जब कर्मचारी या उसके परिवार को कोई व्यक्ति बीमार हो तो उसका इलाज हो सके।
-गोपाल, झूंसी
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कई साल पहले तक राज्य बीमा चिकित्सालय में अच्छी सुविधा मिलती थी। अब इसमें बहुत गिरावट आ गई है। यहां पर जो खाना भी मिलता है। उसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं रहती है। दिन में तो डॉक्टर रहते हैं, लेकिन रात में नहीं। इस कमी को दूर किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारी का बेहतर इलाज हो।
-मातम्बर कुमार, अंबेडकरनगर नैनी
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बीमा चिकित्सालय में इलाज ऐसे किया जाता है कि जिस व्यक्ति को छोटी बीमारी हो, वह बड़ी हो जाए। क्योंकि डॉक्टर से लेकर वार्ड ब्वॉय तक कोई भी गंभीर होकर काम नहीं करते हैं। शिकायत करने पर कहते हैं कि दूसरी जगह इलाज करवा लीजिए। जो पैसा ईएसआइसी में कट रहा है। उसका क्या किया जाए।
-शिवकुमार, घूरपुर
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वर्जन
कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय में 10 डॉक्टर, तीन फार्मासिस्ट, 14 वार्ड ब्वॉय की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन छह डॉक्टर, दो फार्मासिस्ट, सात वार्ड ब्वॉय से काम चल रहा है। कर्मचारियों को देने के लिए जो दवा आती है, वह दे दी जाती है। जो दवा बाहर से मंगवाई जाती है। उसका भुगतान लिया जा सकता है। हमारी कोशिश रहती है कि मरीजों को कम संसाधन में भी बेहतर सुविधा मिल सके।
-आरपी पांडेय, प्रभारी अधीक्षक, कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय