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Nehru Death Anniversary : ...जब महामना संग प्रयाग सत्याग्रह में कूद पड़े थे नेहरू Prayagraj News

पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्‍मतिथि आज है। नेहरू के जीवन के प्रसंगों का प्रयागराज साक्षी रहा है। इसका जिक्र जवाहर लाल नेहरू एन आटोबॉयोग्राफी में किया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 02:03 PM (IST)
Nehru Death Anniversary : ...जब महामना संग प्रयाग सत्याग्रह में कूद पड़े थे नेहरू Prayagraj News
Nehru Death Anniversary : ...जब महामना संग प्रयाग सत्याग्रह में कूद पड़े थे नेहरू Prayagraj News

प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़े तमाम प्रसंगों का साक्षी रहा है। ऐसा स्वाभाविक भी है। आखिर यह उनकी जन्म व कर्मभूमि थी। पं. नेहरू के जुझारूपन से जुड़ा यह प्रसंग वर्ष 1924 का है।

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संगम में सत्याग्रहियों संग नेहरू ने स्नान कर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी

सुरक्षा कारणों को वजह बताते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने अर्धकुंभ के दौरान संगम में श्रद्धालुओं के स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस आदेश से क्षुब्ध महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने प्रयाग सत्याग्रह का एलान कर दिया। इसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू भी सक्रिय हो गए। आधे दिन तक शांतिपूर्ण धरना के बाद पं. नेहरू ने तात्कालिक राष्ट्रीय ध्वज हाथ में लेकर लोगों में जोश भरा। इतना ही नहीं बैरीकेडिंग तोड़ते हुए संगम में 200 सत्याग्रहियों संग स्नान कर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दे दी। इस प्रसंग का उल्लेख पं. नेहरू ने अपनी आत्मकथा में भी किया है।

जन्म : 14 नवंबर 1889

निधन : 27 मई 1964

'जवाहर लाल नेहरू एन आटोबॉयोग्राफी' में रोचक घटना का जिक्र

वर्ष 1936 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित पुस्तक 'जवाहर लाल नेहरू एन आटोबॉयोग्राफी' में खुद पंडित नेहरू ने लिखा है कि उस वक्त (वर्ष 1924 में) गंगा नदी की धारा में अचानक कुछ परिवर्तन हुआ। ब्रिटिश अफसरों ने प्रांतीय सरकार से वार्ता के बाद आदेश पारित कि त्रिवेणी संगम पर कोई श्रद्धालु स्नान नहीं करेगा। महामना ने यह आदेश वापस लेने के लिए पत्र लिखा लेकिन उनकी अनसुनी की गई। आहत होकर महामना ने सत्याग्रह का फैसला लिया। वह पंडित नेहरू समेत 200 स्वयंसेवकों के साथ संगम पहुंच गए। मेला प्रशासन ने संगम तट के करीब बल्लियों का मजबूत घेरा बना दिया ताकि लोग स्नान न कर सकें। पंडित नेहरू बैरीकेडिंग तोड़ते हुए तट की तरफ बढऩे लगे। उधर महामना भी घुड़सवार पुलिस दल के बीच से दौड़ते हुए नेहरू के पास पहुंचे फिर सभी एक साथ संगम में कूद पड़े। सत्याग्रहियों का जोश देख पुलिस बैकफुट पर आ गई। इस तरह सत्याग्रह सफल हो गया।

मोतीलाल नेहरू ने उनके लिए विदेश से कार मंगवाई थी

जवाहर लाल नेहरू को कार से घूमने का शौक था। पिता मोतीलाल नेहरू ने उनके लिए विदेश से कार मंगवाई थी। शहर में यह पहली कार थी। एक और प्रसंग लोगों की सहायता से जुड़ा है। उनका नाई हमेशा देर से आता था। पूछने पर नाई ने कहा, मेरे पास घड़ी नहीं है। इस वजह से देर हो जाती है। उसके लिए वह लंदन से नई घड़ी लाए थे।

पालिका के अध्यक्ष भी बने थे 

पंडित नेहरू इंग्लैंड से 1912 में भारत लौटे और 1916 में कमला नेहरू से उनकी शादी हुई। राजनीति में वर्ष 1919 में तब सक्रिय हुए जब महात्मा गांधी के संपर्क में आए। असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। वर्ष 1924 में वह नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए। हालांकि कार्यकाल दो साल ही रहा। वर्ष 1926 में अधिकारियों के असहयोग के चलते इस्तीफा दे दिया।


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