Magh Mela 2021: पंचकोसी परिक्रमा एक फरवरी से, माघ मेला शुरू होने में देरी से बदली गई तारीख
माघ महीना विलंब से शुरू होने के चलते प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा की तारीख बदल गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 21 22 व 23 जनवरी को परिक्रमा की तारीख निर्धारित थी। लेकिन पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को है।
प्रयागराज, जेएनएन। माघ महीना विलंब से शुरू होने के चलते प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा की तारीख बदल गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 21, 22 व 23 जनवरी को परिक्रमा की तारीख निर्धारित थी। लेकिन, पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को है। इसके बाद माघ मास आरंभ होगा। इस देखते हुए परिक्रमा एक, दो व तीन फरवरी को कराने का निर्णय लिया है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं को परिक्रमा से जोडऩे के लिए इंटरनेट मीडिया में उसका सीधा प्रसारण कराया जाएगा। परिक्रमा का स्वरूप बढ़ाने व आम व्यक्ति को उससे जोड़ने के लिए परिषद श्रद्धालुओं को शामिल करेगा।
माघ मास में परिक्रमा का विधान इसलिए बदली गई तारीख
प्रयागराज में अंतर्वेदी, बहिर्वेदी व पंचक्रोसी परिक्रमा का विधान है। लेकिन, मुगलकाल में परिक्रमा की परंपरा रुक गई थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज में 2019 में हुए कुंभ पर्व (मेला) में परिक्रमा की परंपरा पुन: आरंभ कराई थी। अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि के अनुसार शास्त्रों में वर्णित है कि माघ मास में प्रयागराज में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है। इसी कारण माघ मास में संगम तीरे कल्पवास किया जाता है। परिक्रमा भी माघ मास में करने का विधान है। इसके मद्देनजर पंचकोसी परिक्रमा की तारीख बदली गई है।
देवरहा बालक बाबा हिंदुत्व के उत्थान पर करेंगे मंथन
माघ मेला क्षेत्र में संगम लोवर मार्ग सेक्टर-तीन स्थित श्रीदेवरहा बालक बाबा अन्नक्षेत्र जौनपुर में ङ्क्षहदुत्व के उत्थान पर मंथन किया जाएगा। देवरहा बालक बाबा 28 जनवरी को मेला क्षेत्र स्थित शिविर में आएंगे। माघ मास पर्यंत प्रवास करके सनातन धर्म के सामने व्याप्त चुनौतियों पर चिंतन करके उसके खात्मा के लिए तपस्या करेंगे। शिविर के संचालक मार्कंडेय सिंह 'मुन्ना ने बताया कि अन्नक्षेत्र 29 जनवरी से शुरू हो जाएगा। सुबह छह से नौ बजे तक बालभोग चलेगा। इसमें चना और चाय वितरित किया जाएगा। जबकि अन्नक्षेत्र दिन में 11 से रात 12 बजे तक चलेगा। बताया कि 38 साल से लगातार भंडारा चलाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण काल में अलग-अलग क्षेत्रों में संतों व आम लोगों को अन्न का दान किया गया था।