Oxygen crisis: बीपीसीएल में हलचल शुरू, साफ होने लगीं मशीनें, बेकार पड़े पुराने ऑक्सीजन सिलेंडर की जांच शुरू
प्रस्ताव जाने के बाद कंपनी में शुक्रवार से हलचल शुरू हो गई। सुबह ही यहां पर कुछ कर्मचारियों को बुलाया गया। कंपनी का गोदाम चेक किया गया तो करीब पांच सौ बने हुए सिलेंडर पड़े हैं। उनमें मामूली सुधार करके उपयोग के लिए दिया जा सकता है।
प्रयागराज, जेएनएन। आक्सीजन सिलेंडर की किल्लत के बीच भारत पंप एंड कंप्रेसर लिमिटेड (बीपीसीएल) में हलचल शुरू हो गई है। यहां से फिर से ऑक्सीजन सिलेंडर का उत्पादन करना है, यह प्रपोजल शासन को भेजने के बाद से कंपनी में बेकार पड़े पुराने ऑक्सीजन सिलेंडरों की जांच शुरू हो गई है। अनुमति मिलते ही उत्पादन कार्य शुरू हो जाय, इसके लिए मशीनों की सफाई भी शुरू हो गई। इससे कर्मचारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं।
औद्योगिक क्षेत्र नैनी में स्थित बीपीसीएल में पहले रोजाना पांच हजार सिलेंडर बनते थे। लेकिन 2012 से यहां पर सिलेंडर का निर्माण पूरी तरह से ठप है। अब कोरोना महामारी के दौर में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी हुई तो इसकी याद आई। कमिश्नर संजय गोयल और डीएम भानुचंद्र गोस्वामी पहल पर गुरुवार को उद्योग विभाग के महाप्रबंधक अजय चौरसिया की देख रेख मेंं प्रपोजल तैयार किया गया था। संचालन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। प्रस्ताव जाने के बाद कंपनी में शुक्रवार से हलचल शुरू हो गई। सुबह ही यहां पर कुछ कर्मचारियों को बुलाया गया। कंपनी का गोदाम चेक किया गया तो करीब पांच सौ बने हुए सिलेंडर पड़े हैं। उनमें मामूली सुधार करके उपयोग के लिए दिया जा सकता है। साथ ही सिलेंडर बनाने वाली मशीनों की सफाई और ग्रीसिंग की गई है। चूंकि अभी सख्त जरूरत है, इसलिए संचालन का आदेश जल्द आ सकता है। इसलिए कंपनी की ओर से तैयारी की जा रही है।
रोड़ा बन रहा भारी उद्योग मंत्रालय
बीपीसीएल इंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष श्रीराम यादव और पूर्व महामंत्री आरएलडी दुबे ने बताया कि भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारी इस कंपनी के संचालन में दिलचस्पी नहीं ले रहा। इस कंपनी के संचालन के लिए इलाहाबाद की सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भी एक बार पत्र लिख चुकी हैं। इसके बावजूद भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारी संचालन की अनुमति नहीं दे रहे हैं।