प्रयागराज में दाह संस्कार व हवन के लिए बनेंगे स्पेशल उपले, पटियाला से मंगाई गई है लट्ठा मशीन
माघ और कुंभ मेलों में साधु-संत हवन के लिए आम की लकड़ी मंगाते हैं। ऐसे धार्मिक मेले में निगम द्वारा स्टाल लगाकर उपले बेचे जाएंगे। इसकी कीमत आम की लकड़ी से कम रखने की तैयारी है लेकिन अभी रेट फाइनल नहीं है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अब प्रयागराज में दाह संस्कार और हवन के लिए उपले मिलेंगे। यह पहल नगर निगम ने किया है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से निगम प्रशासन ने अब गोबर से उपले (कंडे) बनाने की तैयारी की है। इसके लिए पटियाला (पंजाब) से एक मशीन मंगाई गई है। बारिश समाप्त होने पर गोशाला में उपले बनने लगेंगे। इन उपलों का इस्तेमाल दाह संस्कार और हवन के लिए किया जाएगा।
नगर निगम के उपलों की खासियत
नगर निगम द्वारा शंकरगढ़ (यमुनापार) क्षेत्र के जनवा गांव में कान्हा गोशाला बनवाई गई है। गोशाला में गोवंश का गोबर बहुत ज्यादा निकलता है, जिससे उपले बनाने की तैयारी है। इसके लिए मंगाई गई मशीन का नाम लट्ठा मशीन है। कंडे की लंबाई करीब ढाई फीट और व्यास तीन इंच होगा। मशीन की कीमत लगभग 45 हजार रुपये है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो दो मशीनें और मंगाई जाएंगी।
निगम खुद करा रहा अंत्येष्टि
फाफामऊ और झूंसी के छतनाग घाटों पर फिलहाल निगम द्वारा उन शवों की अंत्येष्टि खुद कराई जा रही है जो कोविड-19 की दूसरी लहर में दफनाए गए थे और बाढ़ के कारण पानी में गिरते हैं। इसके लिए निगम को लकड़ी खरीदनी पड़ती है। उपले बनने पर निगम शवों की अंत्येष्टि में लकड़ी की जगह इसका ही इस्तेमाल करेगा। उपले बचने पर रसूलाबाद, दारागंज, ककरहा आदि घाटों पर बेचा भी जाएगा।
माघ और कुंभ मेले में होगी बिक्री
माघ और कुंभ मेलों में साधु-संत हवन के लिए आम की लकड़ी मंगाते हैं। ऐसे धार्मिक मेले में निगम द्वारा स्टाल लगाकर उपले बेचे जाएंगे। इसकी कीमत आम की लकड़ी से कम रखने की तैयारी है लेकिन, अभी रेट फाइनल नहीं है।
पशुधन अधिकारी ने कंडे की बताई विशेषता
नगर निगम के पशुधन अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कंडे बनाने वाली मशीन का नाम लट्ठा मशीन है। इसलिए इससे लट्ठे के आकार के कंडे तैयार होंगे। इसे सूखने के लिए सात-आठ दिनों तक धूप की जरूरत होगी। गोवंश का गोबर एंटी बैक्टीरियल होता है। यह धार्मिक महत्व के साथ वातावरण के लिए भी लाभदायक है।