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Mahoba Case में भगोड़े IPS पाटीदार के साथ मुकदमे में नामजद दारोगा की बर्खास्तगी रद

हाई कोर्ट ने कहा कि दरोगा की बर्खास्तगी से पूर्व अधिकारी जांच नहीं करने के सम्बन्ध में अपना कारण व संतुष्टि को लेकर निष्कर्ष देने में विफल रहे। उल्लेखनीय है कि महोबा के कारोबारी के कत्ल का मामला पिछले साल भर से सुर्खियों में बना है

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 07:39 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 10:38 AM (IST)
Mahoba Case में भगोड़े IPS पाटीदार के साथ मुकदमे में नामजद दारोगा की बर्खास्तगी रद
हाईकोर्ट ने महोबा कांड में नामजद पूर्व थानाध्यक्ष करबई देवेंद्र कुमार शुक्ला की बर्खास्तगी रद कर दी है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महोबा कांड में भगौडा घोषित एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ प्राथमिकी में नामजद पूर्व थानाध्यक्ष करबई देवेंद्र कुमार शुक्ला की बर्खास्तगी रद कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि दरोगा की बर्खास्तगी से पूर्व अधिकारी जांच नहीं करने के सम्बन्ध में अपना कारण व संतुष्टि को लेकर निष्कर्ष देने में विफल रहे। उल्लेखनीय है कि महोबा के कारोबारी के कत्ल का मामला पिछले साल भर से सुर्खियों में बना है। इस मामले में निलंबित होने के बाद से फरार आइपीएस मणिलाल पाटीदार को अदालत से भगोड़ा घोषित करने के बाद राजस्थान में उसके घर पर कुर्की भी प्रयागराज पुलिस कर चुकी है।

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बिना जांच कराए सीधे बर्खास्त कर दिया

यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बर्खास्तगी के विरूद्ध दरोगा देवेन्द्र कुमार शुक्ला की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि आइजी चित्रकूट धाम बांदा ने 13 अक्तूबर 2020 को 1991 की नियमावली के नियम 8(2)(बी) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानून की अनदेखी कर बिना यह बताए कि आरोपों की जांच कराना क्यों संभव नहीं है, सीधे बर्खास्त कर दिया था। अधिवक्ता का कहना था कि बर्खास्तगी आदेश गलत था।

धन वसूली कर आइपीएस को पहुंचाने का आरोप

याची दरोगा पर अवैध धन वसूली करने व धन को तत्कालीन एसपी पाटीदार को देने के लिए दबाव बनाने, व्यापारियों को फर्जी केस में फंसाने आदि का आरोप लगा है। बर्खास्तगी आदेश में कहा गया था कि याची दरोगा का कृत्य पुलिस विभाग में बने रहना लोक हित व प्रशासनिक हित में नहीं है। कहा गया था कि दारोगा द्वारा अवैध क्रियाकलापों में लिप्त होने तथा अनधिकृत तौर पर अनुपस्थित रहने के कारण उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही किया जाना व्यवहारिक नहीं है। याची को 10 सितम्बर 2020 को निलंबित किया गया था और उसके तुरन्त बाद 11 सितम्बर को आईपीसी की धारा 387, 307, 120-बी व 7/ 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।


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