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COVID-19 में ऑनलाइन पढ़ाई से बच्‍चों के आंख की रोशनी पर विपरीत प्रभाव, अभिभावक रहें सचेत

प्रयागराज में मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय की वरिष्ठ नेत्र रोग परामर्शदाता डॉक्टर जागृति राणा का कहना है कि स्क्रीन से निकलने वाली तरंगें हानिकारक होती हैं। आंख की रेटिना पर यह सीधे हिट करती हैं और आंख के भीतर रोशनी में सहायक कुछ नसों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 11:37 AM (IST)
COVID-19 में ऑनलाइन पढ़ाई से बच्‍चों के आंख की रोशनी पर विपरीत प्रभाव, अभिभावक रहें सचेत
मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई का अधिक दबाव होने से बच्‍चों की आंख की रोशनी प्रभावित हो रही है।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते स्कूल-कालेज करीब डेढ़ साल से बंद हैं। पढ़ाई-लिखाई मोबाइल या लैपटॉप पर ही निर्भर हो गई है। इससे बच्चों की आंख की रोशनी पर तेजी से विपरीत प्रभाव पड़ा है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास आ रहे मामले चिंताजनक हैं। डॉक्टरों ने कहा है कि अभिभावक सचेत रहें। पढ़ाई के समय के अलावा बच्चे अतिरिक्त भी फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें काउंसिलिंग करके इससे रोकना होगा।

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नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर जागृति राणा बोलीं- बच्‍चे बेवजह मोबाइल का न करें इस्‍तेमाल

प्रयागराज में मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय की वरिष्ठ नेत्र रोग परामर्शदाता डॉक्टर जागृति राणा का कहना है कि स्क्रीन से निकलने वाली तरंगें हानिकारक होती हैं। आंख की रेटिना पर यह सीधे हिट करती हैं और आंख के भीतर रोशनी में सहायक कुछ नसों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। टेलीमेडिसिन सेवा में और अस्पताल में भी आंख की समस्या लेकर आ रहे मरीजों में बच्चे ज्यादा हैं। डॉक्टर जागृति का कहना है कि स्कूल या कोचिंग की पढ़ाई के अलावा बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल न करने दें।

डॉक्‍टर आरएस राम ने दी सलाह, एक या दो घंटे ही करें माबाइल का प्रयोग

इन दिनों बच्चे छह से सात घंटे मोबाइल और टीवी देखते हैं। इससे आंख की रोशनी कम हो रही है। कॉल्विन अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरएस राम का कहना है कि एक या दो घंटे ही मोबाइल का इस्तेमाल हो तो रोशनी पर ज्यादा असर नहीं आएगा। इससे ज्यादा स्क्रीन के सामने आंखों को रखना बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। बताया कि सामान्य दिनों की अपेक्षा अब छह से आठ फीसद अधिक नए मरीज संज्ञान में आ रहे हैं इसकी बड़ी वजह हर वक़्त मोबाइल फोन पर पढ़ाई या जॉब वर्क में ऑनलाइन रहना है।


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