Coronavirus संक्रमण के कारण प्रयागराज में खेल गतिविधियां ठप हैं, स्वस्थ रहने के लिए यह तरीका अपनाएं खिलाड़ी
कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों प्रयागराज में खेल गतिविधियां ठप हैं। स्कूलों में भी विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं को खेल से जोडऩे व महत्व बताने के लिए ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। शिवचरणदास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज के शारीरिक शिक्षक मेलविन लार्टियस ने सलाह दी।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इन दिनों खेल गतिविधियां ठप हैं। स्टेडियम में भी प्रशिक्षण नहीं हो रहा है। ऐसे में खिलाडि़यों और छात्र-छात्राओं के समक्ष अपने शरीर को स्वस्थ रखने की भी चिंता है। आपकी चिंता यहां दूर कर रहे हैं शारीरिक शिक्षक का। वह छात्र और छात्राओं को शरीर स्वस्थ रखने की टिप्स दे रहे हैं। साथ ही खेल कूद की भी सलाह देते हैं।
छात्र-छात्राओं को खेल से जोडऩे व महत्व बताने को ऑनलाइन परिचर्चा
कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों खेल गतिविधियां ठप हैं। स्कूलों में भी विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं को खेल से जोडऩे व महत्व बताने के लिए ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। शिवचरण दास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज के शारीरिक शिक्षक मेलविन लार्टियस ने सलाह दी। वह कहते हैं कि छात्र जीवन में जिस तरह शिक्षा का महत्व है, उसी तरह जीवन में खेलों का भी महत्व है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। यह सनातन सत्य है। शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे बेहतर तरीका खेलों में सहभागिता है। इसमें मेलविन लार्टियस ने कहा कि सभी को किसी न किसी खेल में जरूर हिस्सा लेना चाहिए। भले ही किसी खेल में दक्षता हासिल करें या न करें। उसका लाभ बेहतर स्वास्थ्य के रूप में मिलता है।
शारीरिक शिक्षक डॉ. अनूप ने दी यह टिप्स
इसी क्रम में सीएवी इंटर कॉलेज के शारीरिक शिक्षक डॉ. अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी भी खेल में शामिल होकर मैदान पर उतरता है तो मेहनत से शरीर में रक्त संचार बेहतर हो जाता है। इंद्रियां भली प्रकार से काम करने लगती हैं। यही वजह है कि एक व्यक्ति का शरीर पूरी तरह स्वस्थ होता है तो उसका मस्तिष्क भी स्वस्थ होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से खेल से जुडऩा चाहिए। छात्र जीवन में यदि यह आदत आ जाती है तो पूरी उम्र बनी रहती है।
मानसिक मजबूती भी देता है खेला
एबीआइसी के खेल प्रशिक्षक रवींद्र मिश्र ने कहा कि खेल यदि जीवन में शामिल हो जाएं तो विभिन्न समस्याओं का स्वत: समाधान हो जाता है। व्यक्ति मानसिक रूप से भी मजबूत होता है। उसमें निर्णय लेने की क्षमता का भी विकाश होता है। इसकी वजह यह कि कोई भी खिलाड़ी सकेंड के 20वें हिस्से में कोई फैसला लेता है। और वह निर्णय आमतौर पर सही होता है। यह व्यक्ति के व्यवहार में शामिल हो जता है तो जीवन में भी फैसले लेने की प्रक्रिया सरल हो जाती है। तमाम शोध में यह भी पता चला है कि खेल के मैदान से जुड़ाव रखने वाला व्यक्ति कभी भी अवसाद का शिकार नहीं होता है। बच्चों को यदि मैदान से अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए तो मानसिक बीमारियों से भी मुक्ति पाई जा सकेगी।