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फर्जी दस्तावेज पर नौकरी पाने वाले सहायक अध्यापक पर एक लाख रुपए का हर्जाना

हाई कोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी है साथ ही याची अध्यापक से हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है। जमा नहीं करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 06:17 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 08:32 PM (IST)
मिलीभगत से नियुक्ति का अनुमान करने वाले बीएसए के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी है साथ ही याची अध्यापक से हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है। जमा नहीं करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि याची के पिता बीएसए कार्यालय संत कबीर नगर में लिपिक थे।फर्जी अंकपत्र व टीईटी प्रमाणपत्र की जानकारी उस समय के बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह को भी थी। प्रबंध समिति से नियुक्ति कराकर अनुमोदन भी कर दिया। शिकायत मिलने पर जांच बैठाई गई और वेतन भुगतान रोका गया। कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएसए रहे महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ तत्काल विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

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धोखाधड़ी के आरोप में एफआइआर

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पं दीनदयाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिटिया बेलहर संतकबीरनगर के सहायक अध्यापक मंजुल कुमार की याचिका पर दिया है। हाई कोर्ट के आदेश पर सहायक निदेशक बेसिक व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा संतकबीरनगर पेश हुए। हलफनामा दाखिलकर बताया कि याची की नियुक्ति 15मार्च 2016 को हुई। 17 जुलाई 2016 को ज्वाइन किया। शिकायत पर सात अप्रैल 2017 को जांच बैठाई गई और वेतन रोका गया। प्रबंध समिति के विज्ञापन पर याची की नियुक्ति की गई। बीएसए ने अनुमोदित कर दिया। पांच जून 2018 को कूटकरण व धोखाधड़ी के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई गई है।

सारे प्रमाणपत्र मिले थे जाली

याची ने महात्मा गांधी पीएस कालेज गोरखपुर से जिस अनुक्रमांक पर बीएससी का अंकपत्र पेश किया है वह अनुक्रमांक तुफैल अहमद को आवंटित था। इंटरमीडिएट का अनुक्रमांक भी फर्जी पाया गया। याची के पिता लिपिक बीएसए कार्यालय ने 2011 का टीईटी प्रमाणपत्र भी फर्जी बनाया। अनुक्रमांक कल्पना त्रिपाठी के नाम है जो फेल हो गई थी।

हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

कोर्ट ने कहा न्यायिक सिस्टम गलत लोगों को संरक्षण देने के लिए नहीं है। देश झूठ पर जीवित नहीं रह सकता। कानून के शासन को संरक्षण देने में कोर्ट की वृहद भूमिका है।


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