Prayagraj Express का 38 वां बर्थडे आज, रोचक है वीआइपी ट्रेन का 1984 से आज तक का सफर
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने अपनी कैबिनेट में एक विशेष ट्रेन का प्रस्ताव रखा था। मांग पूरी हुई और 16 जुलाई 1984 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर प्रयागराज एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के रवाना किया था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज को राजधानी दिल्ली से जोड़ने वाली वीआइपी ट्रेन प्रयागराज एक्सप्रेस का आज बर्थडे है। आज के ही दिन 38 वर्ष पूर्व 1984 को यह ट्रेन पहली बार संगम नगरी से दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। 38 वर्ष बाद आज भी प्रयागवासियों के दिल में बसी है। दिल्ली जाने वाले लोगों में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस ट्रेन में सफर न किया हो। सुविधा, सुरक्षा, टाइमिंग, स्पीड हर चीज में नंबर वन यह ट्रेन नित नये रिकार्ड भी बना रही है। आइए आपको इस ट्रेन की खासियत और इसके अब तक के सफर से आपको रूबरू करवाते हैं।
38 वर्षों बाद आज भी प्रयागराज एक्सप्रेस पहली पसंद : इलाहाबाद में हाई कोर्ट और गंगा, यमुना के संगम की विश्वव्यापी ख्याति के कारण बड़ी संख्या में लोगों का दिल्ली से प्रयागराज आना होता था। विदेशी सैलानी भी दिल्ली उतरने के बाद प्रयागराज आने के लिए विभिन्न विकल्प ढूंढते थे। हाई कोर्ट के कार्य से आने जाने वालों के लिए भी दिल्ली के बीच एक तेज गति से चलने वाली और समय को बचाने वाली ट्रेन चाहिए थी। ट्रेन की आवश्यकता को लेकर तत्कालीन इलाहाबाद के सांसद केपी तिवारी ने इसके लिए काफी प्रयास किया था।
केंद्रीय मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने हरी झंडी दिखाई थी : तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी प्रयागराज की रहने वाली थीं। उन्होंने अपनी कैबिनेट में एक विशेष ट्रेन का प्रस्ताव रखा था। मांग पूरी हुई और 16 जुलाई 1984 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेयी ने प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर प्रयागराज एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के रवाना किया था।
मैं प्रयागराज एक्सप्रेस हूं... गीत एनसीआर के महाप्रबंधक ने लिखा था : प्रयागराज एक्सप्रेस की ख्याति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसका गुणगान करने के लिए एक गीत भी लिखा जा चुका है, जो खूब चर्चित रहा था। 2019 में प्रयागराज एक्सप्रेस के 35 वर्ष पूर्ण होने पर उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक रहे राजीव चौधरी ने इस पर एक गीत लिखा, जिसका शीर्षक था ‘मैं प्रयागराज एक्सप्रेस हूं’ । यह गीत खूब चर्चित हुआ और आज भी रेलकर्मी इसे गुनगुनाते हुए दिख जाते हैं।
रंगों के साथ मिलती रही पहचान : प्रयागराज एक्सप्रेस की शुरूआत में पहचान इसके कोच के रंगों से होती थी। तब इसमें लाल रंग के कोच थे। हालांकि इस ट्रेन में उस समय कोई एसी कोच नहीं थे। 2003 में जब उत्तर मध्य रेलवे का गठन हुआ तो इसके कोचों का रंग बदलकर नीला कर दिया गया। जो लंबे समय तक इसकी पहचान बने रहे। 18 दिसंबर 2016 को एक बार फेर से कोचों को बदला गया है और अब यह पूरी ट्रेन एलएचबी रैक में बदल चुकी है। कुंभ मेले को लेकर इसके कोच पर मेला थीम पर आधारित विनायल रैपिंग की गई थी।
कौन थे पहले गार्ड कंडक्टर : जब ट्रेन पहली बार प्रयागराज से दिल्ली के लिए रवाना हुई तो इसमें गार्ड के रूप में शीतला प्रसाद श्रीवास्तव को जिम्मेदारी दी गई थी। वह बताते हैं कि शुरूआत में स्लीपर का किराया 115 रुपये तथा फर्स्ट क्लास का किराया लगभग 400 रुपये था।
प्रयागराज एक्सप्रेस की खास बातें
- 24 एलएचबी कोच वाली देश की पहली ट्रेन।
- 600 मीटर से ज्यादा लंबी देश की एकमात्र ट्रेन
- यह पूरी ट्रेन आईएसओ सर्टिफाइड है ।
- इस ट्रेन में एसी टू के सर्वाधिक पांच कोच हैं।
- इस ट्रेन पर डाक्यूमेंट्री बनाई गई है।
- इस ट्रेन पर गीत भी लिखा गया है।
- ट्रेन आज भी जब रवाना होती है तो स्टेशन पर घंटी बजाकर परंपरा का निर्वाहन होता है।
- पहले यह साढ़े नौ बजे जंक्शन से चलती थी। वर्तमान में यह 10.10 पर दिल्ली जाती है।
- 25 नवंबर 2020 को इसकी रवानगी का समय 40 मिनट बढ़ गया है।
प्रयागराज एक्सप्रेस फैंस क्लब मनाएगा बर्थडे : शनिवार को प्रयागराज एक्सप्रेस के 38 वर्ष पूरे होने पर प्रयागराज एक्सप्रेस फैंस क्लब द्वारा इस ट्रेन का जन्मदिन मनाया जाएगा। इंजन व कोच के बाहर फूल माला से साज सज्जा होगी और केक काटकर खुशी व्यक्त की जाएगी। हालांकि रेलवे की ओर से किसी आयोजन की कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रयागराज एक्सप्रेस की इस उपलब्धि में कई अधिकारी शामिल होंगे।