जनता के काम में लटलतीफी पर अधिकारियों के पहले हो रहे कार्य
एक ओर शहर की सड़कों और गलियों की दुर्दशा है। लोग परेशान हैं वहीं दूसरी ओर कुंभ संबंधी कायों में पब्लिक के कार्य को छोड़ पहले अधिकारियों के दफ्तर आदि काम पूरे किए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शहर की सड़कों और गलियों की दुर्दशा से लोग हैरान-परेशान हैं। सीवर और नालियां भी खोद डाली गई हैं। आमजन से जुड़े इन कामों में काफी लेटलतीफी हो रही है मगर 'सरकार' के कार्य पहले ही पूरे हो गए। मंडलायुक्त कार्यालय में गांधी सभागार का काम तो कुंभ के कार्यो में सबसे पहले पूरा कर लिया गया। इसी तरह एडीएम सिटी कार्यालय का कार्य भी काफी पहले ही पूरा हो गया। इसके अलावा कलेक्ट्रेट स्थित संगम सभागार की पहली मंजिल का काम लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। अफसरों के कार्यालयों में फर्नीचर, एसी, साउंड आदि की भी पहले ही खरीदारी हो गई। इसके अलावा लग्जरी खरीद ली गईं। कई अधिकारियों के लिए लग्जरी कार किराए पर भी ले ली गई हैं। अफसरों की इस कार्यशैली पर पेश है रिपोर्ट। गांधी और संगम सभागार का कायाकल्प :
मंडलायुक्त कार्यालय स्थित गांधी सभागार कक्ष का भी कुंभ के बजट से कायाकल्प हो गया। लगभग 51 लाख रुपये इस कक्ष को बेहतरीन बना दिया गया। शानदार टाईल्स, वॉल पर पेंटिंग और बेहतरीन फॉल सीलिंग बनवा दी गई। महंगे फर्नीचर्स की भी खरीदारी हो गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों के एसी भी लगा दिए गए। खिड़की-दरवाजे और पर्दे भी नए लुक में हो गए। इसी तरह कलेक्ट्रेट स्थित संगम सभागार के प्रथम तल पर मीटिंग हॉल और विशेष कक्ष का निर्माण भी लगभग पूरा हो गया है। रंगाई-पुताई के साथ ही टाईल्स और एसी लग गए हैं। लगभग 78 लाख रुपये के कुंभ के बजट से इस सभागार और कक्ष का निर्माण कराया गया है। एडीएम सिटी का कार्यालय भी कुंभ के बजट से बेहतरीन हो गया। लगभग आठ लाख रुपये से इस कार्यालय का भी सुंदरीकरण हो गया। काम देखने वाले का ही नहीं दिखा कार्य :
कुंभ के कार्यो की मॉनीट¨रग के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी पहली बार रखी गई है। मतलब साफ है कि जो अफसरों की जिम्मेदारी है, उसके लिए भी अलग से भुगतान की व्यवस्था इस रूप में करा दी गई। कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस एजेंसी को तीन करोड़ रुपये में हायर किया गया है। इसका आधे से ज्यादा भुगतान भी कर दिया गया है। फिलहाल कुंभ के कार्यो के मानक और समय पर नजर रखने वाली इस एजेंसी का भी काम नहीं दिख रहा है। अलबत्ता पिछले दिनों एजेंसी के कई कर्मचारियों को लापरवाही में हटाए जाने की खबर अवश्य सामने आ गई थी। इसी तरह विभिन्न एप्लीकेशंस के लिए वेबसाइट निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। मोटरबोट व फर्नीचर की भी खरीदारी :
प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओर से 30 लाख रुपये की कीमत से दो मोटर बोट की भी खरीदारी कर ली गई है। ये मोटरबोट जनता के लिए नहीं बल्कि वीआइपी और अधिकारियों के लिए ही खरीदी गई है। कमोवेश मेला कार्यालय में अधिकारियों के लिए 67 लाख रुपये के फर्नीचर, साउंड सिस्टम, लिफ्ट और जेनरेटर भी खरीद लिया गया है। माघमेला कार्यालय के नए कक्ष के निर्माण में भी तेजी :
बांध स्थित माघमेला कार्यालय (कंट्रोल रूम) के नए कार्यालय कक्ष का निर्माण कार्य भी काफी तेजी से हुआ। लगभग 90 प्रतिशत इस कक्ष का कार्य पूरा हो चुका है। तकरीबन पौने दो करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस कक्ष में फिनिसिंग का कार्य अब होने वाला है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण के नवीन कंट्रोल भवन (मीटिंग हाल, स्वागत कक्ष एवं कार्यालय) का कार्य भी तेजी से हो रहा है। लगभग पौने तीन करोड़ रुपये से हो रहे इस कार्य में भी काफी तेजी है। जनता के काम पीछे छूटे :
कुंभ मेला प्रशासन की ओर से आमजन के लिए भी कार्य कराने हैं। मेला क्षेत्र के निकटस्थ गांवों में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सड़कों के निर्माण और हैंडपंपों की स्थापना के लिए लगभग पांच करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। इसके लिए तकरीबन ढाई करोड़ रुपये जारी भी कर दिए गए हैं। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को काम कराना है मगर ये काम अभी काफी पीछे है। सभी कार्य आमजन के ही हैं। शहर की सड़कों, गलियों, चौराहों, सीवर, बिजली आदि के कार्य तेजी से कराए जा रहे हैं। अक्टूबर तक कार्यो को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। जो कार्य पीछे हैं उनकी रोज मॉनीट¨रग कर तेजी लाने की कोशिश कराई जा रही है।
-विजय किरन आनंद, कुंभ मेलाधिकारी