डेंगू के मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या, आंकड़ा 155 के पार पहुंचा Prayagraj News
शहर में तेजी से फैल रहे डेंगू बीमारी के प्रकोप का कारण बाढ़ व बारिश है। लगातार इस बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में भी रोगियों की भीड़ है।
प्रयागराज, जेएनएन। पहले बाढ़ फिर बारिश। इससे कुछ दिनों से राहत मिली तो अब बीमारियों की शहर में बाढ़ सी आ गई है। खासकर डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक जनपद में 155 डेंगू के मरीज मिल चुके हैैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी पीडि़त पहुंच रहे हैं। शहर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए अलग से 10 बेड का वार्ड आरक्षित किया गया।
एसआरएन अस्पताल में मरीजों से बाहर से मंगाई जा रही अधिकांश दवा
एसआरएन में डेंगू के लिए आरक्षित सात नंबर वार्ड में डेंगू के अलावा अन्य मरीजों को भी भर्ती किया गया है। यहां भर्ती मोहित मिश्रा, विजयलक्ष्मी ने बताया कि अधिकांश दवाएं बाहर से ही मंगाई जा रही हैं। बेली, काल्विन व डफरिन अस्पताल में भी डेंगू के मरीजों का इलाज चल रहा है। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एलाइजा टेस्ट के लिए बड़ी संख्या में मरीजों की कतार लग रही है।
12 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 12 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसमें सिकंदरा निवासी हरिश्चंद्र, करछना निवासी बुधिराज, हंडिया निवासी राजकुमार, उमरपुर निवासी सुरेश सिंह, फूलपुर निवासी मो. ताहिद, डांडी नैनी निवासी विमल, कौडि़हार निवासी गौरव, चौक निवासी रजनीश, बाई का बाग निवासी शुभ, हरवारा निवासी विनोद कुमार, आनापुर निवासी अकील अहमद, बेली गांव निवासी गुंजन शामिल हैं।
बोले डेंगू नियंत्रण के नोडल अधिकारी
डेंगू नियंत्रण के नोडल अफसर डॉ. ओपी भाष्कर कहते हैं कि डेंगू के जो भी मरीज मिल रहे हैं, उनका सरकारी अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है। अस्पतालों में अलग से वार्ड आरक्षित किए गए हैं।
फागिंग के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा
शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके नगर निगम द्वारा फागिंग कराने में लापरवाही बरती जा रही है। जहां कहीं फागिंग हो भी रही है, वहां भी मच्छर चुनौती बने हुए हैं। मच्छरों को भगाने के लिए नगर निगम किंग फॉग दवा या मैलाथियान को डीजल में मिलाकर फागिंग करवाता है। मैलाथियान से फागिंग कराने पर बदबू होती है। किंग फॉग में ऐसा नहीं होता है। मैलाथियान का प्रभाव कम होने के कारण अब किंग फॉग की फागिंग करवाई जा रही है। बाढ़ के बाद से अब तक लाखों रुपये फागिंग पर खर्च किए जा चुके हैं। रोस्टर के अनुसार हर रोज एक जोन के किसी क्षेत्र में फागिंग होनी चाहिए, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। फागिंग के लिए शाम साढ़े छह बजे से रात नौ बजे तक का समय निर्धारित है लेकिन गाडिय़ां डेढ़-दो घंटे ही काम करती हैं। राजापुर, नेवादा, छोटा बघाड़ा, सलोरी, रसूलाबाद, बेली गांव, दारागंज, बक्शी कला, करैलाबाग, करेली, अल्लापुर, बैरहना, मधवापुर, कीडगंज आदि मोहल्लों में लोग मच्छरों से बहुत परेशान हैं।
नगर आयुक्त ने कहा
नगर आयुक्त डॉ. उज्जवल कुमार का कहना है कि प्रत्येक वार्ड में महीने में दो बार फागिंग करवाई जाती है। अगर इससे ज्यादा फागिंग होगी तो लोगों के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ेगा।
आंकड़े
-250 मिलीग्राम किंग फॉग मिलाया जाता है 18 लीटर डीजल में
-18 लीटर डीजल में मिलाया जाता है दो लीटर मैलाथियान