GST की जटिलताओं में फंसे व्यापारियों की अब मुसीबत और बढ़ी, जानें इसका कारण
कैट के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रतिबंध के लग जाने से अब व्यापारी को अपनी बिक्री की विवरणी अर्थात् जीएसटीआर-1 पहले दाखिल करना होगा तभी 3बी दाखिल हो पाएगा। दोनों रिटर्न समय पर न जमा करने पर उसे जुर्माना भरना होगा। संगठन इसका पूरजोर रूप से विरोध करेगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। व्यापारियों की सहूलियत और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लाया गया। हालांकि इसकी जटिलताओं में व्यापारी फंसता जा रहा है। अभी तक अगर व्यापारी किन्हीं कारणों से जीएसटीआर-1 दाखिल नहीं कर पाता था तो कोशिश करके जीएसटीआर-3बी समय पर दाखिल कर देता था। इससे उसे जुर्माना नहीं भरना नहीं होता था लेकिन, अब बिना आर1 दाखिल किए 3बी दाखिल ही नहीं होगा। इससे व्यापारियों की मुसीबत बढ़ जाएगी।
व्यापारियों को प्रत्येक महीने की 10 तारीख तक पिछले माह के संपूर्ण बिल का जीएसटीआर-1 दाखिल करना होता है। उसके बाद जो टैक्स बना है, उसका चालान जारी हो जाता है। 20 तारीख से पहले टैक्स जमा करके जीएसटीआर-3बी दाखिल करना होता है। समय पर रिटर्न फाइल न करने पर व्यापारी को जुर्माना भरना होता है। अब व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है। जब तक वह आर-1 दाखिल नहीं करेगा, तब तक वह 3बी दाखिल नहीं कर पाएगा।
कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि कार्य की व्यस्तता या अन्य किसी कारण से यदि व्यापारी जीएसटीआर-1 दाखिल नहीं कर पाता था, तो भी समय से जीएसटीआर-3बी दाखिल कर सरकार को टैक्स जमा कर देता था, किंतु इस प्रतिबंध के लग जाने से अब व्यापारी को अपनी बिक्री की विवरणी अर्थात् जीएसटीआर-1 पहले दाखिल करना होगा, तभी 3बी दाखिल हो पाएगा। दोनों रिटर्न समय पर न जमा करने पर उसे जुर्माना भरना होगा। संगठन इसका पूरजोर रूप से विरोध करेगा।