अब प्रयागराज एयरपोर्ट से अंदावा तक मेट्रो सेवा, डीपीआर में होगा बदलाव Prayagraj News
अब प्रयागराज एयरपोर्ट से झूंसी तक रूट प्रस्तावित किया जाना है। इसके लिए एजेंसी के पदाधिकारियों और पीडीए के अफसरों ने पिछले दिनों फौरी सर्वे भी किया है।
प्रयागराज, जेएनएन। शहर में मेट्रो सेवा के लिए तैयार डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में बदलाव किया जाएगा। इसकी वजह है प्रयागराज एयरपोर्ट (नए टर्मिनल) से झूंसी में अंदावा तक रूट का प्रस्ताव। पहले बमरौली हवाई अड्डे से अंदावा तक लगभग 20 किलोमीटर रूट प्रस्तावित था। नए प्रस्ताव के अनुरूप काम हुआ तो करीब पांच किलोमीटर दूरी बढ़ जाएगी। इससे मेट्रो रूट कुल लगभग 45 किमी हो जाएगा।
कुंभ मेला के पहले डीपीआर तैयार शासन को भेजा गया था
वर्ष 2016-17 में प्रयागराज में मेट्रो की घोषणा हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह सौगात दी थी। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने इंजीनियरिंग कंसलटेंट एजेंसी राइट््स को रूट का सर्वे और डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी दी। इससे पहले बुद्धिजीवियों, व्यापारियों, उद्यमियों और आम शहरियों के सुझावों लिए गए। एजेंसी ने बमरौली हवाई अड्डे से झूंसी तक करीब 20 किमी. और फाफामऊ में शांतिपुरम से नैनी में औद्योगिक क्षेत्र तक लगभग 20 किमी. (कुल 40 किमी.) का मेट्रो रूट प्रस्तावित किया। इसमें एक-एक किमी. की दूरी पर मेट्रो स्टेशन भी प्रस्तावित थे। कुंभ 2019 के पहले डीपीआर तैयार करके शासन को भेज दिया गया था।
प्रयागराज एयरपोर्ट से झूंसी तक रूट प्रस्तावित, अफसरों ने किया फौरी सर्वे
अब प्रयागराज एयरपोर्ट से झूंसी तक रूट प्रस्तावित किया जाना है। इसके लिए एजेंसी के पदाधिकारियों और पीडीए के अफसरों ने पिछले दिनों फौरी सर्वे भी किया है। हालांकि, एजेंसी की ओर से अभी फाइनल सर्वे किया जाना बाकी है। पीडीए के अधिशासी अभियंता रोहित खन्ना ने बताया कि नया रूट झूंसी हाईकोर्ट से झलवा होते हुए नया टर्मिनल तक जाएगा। इसके लिए दो-तीन विकल्प हैं। फाइनल सर्वे होने पर ही रूट की वास्तविक रूपरेखा तय हो सकेगी।
12 हजार करोड़ रुपये प्रोजेक्ट कॉस्ट
दोनों रूटों के लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 12 हजार करोड़ रुपये प्रस्तावित थी। नए प्रस्तावित रूट पर कितना खर्च आएगा, यह अभी तय नहीं है। सूत्रों का कहना है कि पहले की तुलना में अब मेट्रो की तकनीक में बदलाव हुआ है और मेट्रो से संबंधित बहुत सी चीजें अब देश में बनने लगी हैं। इसलिए रूट में वृद्धि होने के बावजूद प्रोजेक्ट कॉस्ट बहुत नहीं बढ़ेगी।