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अब असहाय पेंशनरों से जीवित प्रमाण पत्र लेने घर जाएंगे कर्मचारी

शासन का निर्देश है कि साल में एक बार कभी भी पेंशनर अपने जीवित होने का प्रमाण दे सकता है, लेकिन नवंबर के महीने में अधिकांश पेंशनर कोषागार कार्यालय पहुंचते हैं

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 07:00 PM (IST)
अब असहाय पेंशनरों से जीवित प्रमाण पत्र लेने घर जाएंगे कर्मचारी
अब असहाय पेंशनरों से जीवित प्रमाण पत्र लेने घर जाएंगे कर्मचारी

प्रयागराज : जिला कोषागार की ओर से पेंशनरों को जीवित प्रमाण पत्र देने के लिए कई सुविधाएं दी जा रही हैं। चलने-फिरने में असमर्थ पेंशनरों के घर कोषागार के कर्मचारी खुद जा रहे हैं। इतना जरूर है कि पेंशनर के घरवालों को कर्मचारी को अपने साथ घर लाना और वापस कार्यालय छोड़ना होगा।

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इन दिनों जिला कोषागार में जीवित होने का प्रमाण देने को भारी संख्या में पेंशनर पहुंच रहे हैं। वैसे तो शासन का निर्देश है कि साल में एक बार कभी भी पेंशनर अपने जीवित होने का प्रमाण दे सकता है, लेकिन नवंबर के महीने में अधिकांश पेंशनर कोषागार कार्यालय पहुंचते हैं और अपने जीवित होने का प्रमाण देते हैं। सोमवार को भी काफी संख्या में वृद्धजन अपने अपने परिवार के लोगों के साथ पहुंचे।

बाघराय भाव की राजरानी को उनका बेटा श्रीकांत मिश्र व पौत्र साथ लेकर आया था। इसी प्रकार मानधाता के खुशहालगंज निवासी हरिकेश ¨सह चौहान, राजापुर ¨वधन के जगन्नाथ प्रसाद मौर्य, साहबगंज के राम अभिलाख, हीरागंज की ऊषा देवी, सपंत देवी, प्रभावती आदि ने कोषागार पहुंचकर अपने जीवित होने का प्रमाण दिया। इसमें उन्हें कोषागार द्वारा दिए गए फार्म को भर कर हालिया फोटो लगाकर पासबुक व एक आइडी की फोटो कापी के साथ उसे कर्मचारी के पास जमा करना था। जिले में कुल 21 हजार पेंशनर हैं। एक नवंबर से अब तक लगभग सात हजार पेंशनर ने अपने जीवित होने का प्रमाण दिया है। सालभर में कभी भी दे सकते हैं प्रमाण पत्र

जिला कोषाधिकारी दीपक बाबू ने बताया कि जरूरी नहीं कि नवंबर माह में जीवित होने का प्रमाण दिया जाए। पेंशनर एक साल में कभी भी यह प्रमाण दे सकता है। ऐसे पेंशनर जो पूरी तरह से आसक्त हो चुके हैं। उन्हें कार्यालय तक वाहन से लाने के बाद कर्मचारी बाहर आकर प्रमाण ले लेगा। इसके अलावा जो बिस्तर पर पड़े रहते हैं, उनके घर जाकर कर्मचारी उनके जीवित होने का प्रमाण ले लेंगे, बशर्ते परिवार के लोगों को कर्मचारी को साथ ले जाकर बाद में कार्यालय छोड़ना होगा।


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