अब इंसान की हरकत से अपराधी का पता लगाएगा सेंसर, टीएसएम तकनीक से ऐसा हो सकेगा संभव
भारत सरकार के डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी ने इस प्रोजेक्ट पर कार्य के लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के जेके इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलाजी में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आशीष खरे को 56.99 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं।
प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। अब आपकी शारीरिक गतिविधियों के साथ ही मानसिक हरकत पर भी निगरानी की तैयारी है। आप क्या सोच रहे हैं और क्या कर सकते हैं? इसका भी विश्लेषण हो सकेगा। यदि नकारात्मक या संदेहास्पद गतिविधि होगी तो आप पुलिस की गिरफ्त में भी होंगे। यह संभव होगा ट्रेडिशनल सर्विलांस मैकेनिज्म तकनीक से बनने वाले इंटीग्रेटेड इंटेलिजेंट सर्विलांस सिस्टम से। यह तकनीक भविष्य में अपराध के ग्राफ को नीचे लाने में मददगार साबित होगी।
जेके इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आशीष खरे को प्रोजेक्ट के लिए धनराशि स्वीकृत
भारत सरकार के डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी ने इस प्रोजेक्ट पर कार्य के लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के जेके इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलाजी में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आशीष खरे को 56.99 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं।
प्रोफेसर आशीष खरे ने इस सिस्टम की विशेषताएं बताईं
प्रोफेसर आशीष खरे का कहना है कि हाल में देश में तमाम बड़ी आतंकी घटनाओं से यह महसूस किया गया कि सर्विलांस सिस्टम को और सशक्त करने की सख्त आवश्यकता है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट के तहत ऐसा टीग्रेटेड इंटेलिजेंट सर्विलांस सिस्टम विकसित करने का लक्ष्य है, जो इंसान को देखकर शारीरिक और मानसिक गतिविधियों का विश्लेषण कर सके। इस सिस्टम में विभिन्न तरह के कैमरे का उपयोग किया जाएगा। इसके तहत एक ऐसा सेंसर भी तैयार किया जाएगा, जो ट्रेडिशनल सर्विलांस मैकेनिज्म तकनीक से लैश होगा। यह सेंसर इंसान के हावभाव को कैमरे में कैदकर उनके इमेज का अध्ययन करेगा।
सिस्टम की तकनीक चेहरे का हावभाव कैद होगी
खास बात यह है कि यह सिस्टम व्यक्ति के मनोविज्ञान का भी विश्लेषण करेगा। इसके तहत शरीर के तापमान में होने वाले बदलाव का भी पता चल जाएगा। प्रो. खरे कहते हैं किसी भी व्यक्ति के शरीर का तापमान उस वक्त बढ़ जाता है, जब वह नकारात्मक गतिविधियों में लिप्त होता है अथवा उसकी प्रवृत्ति अपनाता है। ऐसे में सिस्टम में लगा इन्फ्रारेड और आप्टिकल कैमरा तापमान, चेहरे के हावभाव और शारीरिक गतिविधियों को कैद कर लेगा। इन सभी चीजों को मिलाकर विश्लेषण के बाद मनुष्य द्वारा की जाने वाली गतिविधि का पता लगाया जा सकेगा। दावा है कि अब तक दुनिया में इस परिकल्पना पर काेई कार्य नहीं किया गया है।
परीक्षण के बाद कराएंगे पेटेंट
प्रोफेसर खरे ने बताया कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद सेंसर की परीक्षण किया जाएगा। सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद पेटेंट के लिए आवेदन करेंगे। इसके बाद यह सेंसर को बाजार में उतार दिया जाएगा ताकि अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा के लिहाज से इसका उपयोग किया जा सके। इस प्रोजेक्ट में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के डा. दुष्यंत कुमार और धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट आफ इनफारमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी (डीएआइआइसीटी) गांधीनगर, गुजरात के डा. मनीष खरे भी शामिल हैं।
प्रोजेक्ट के लिए मांगे आवेदन
प्रोफेसर खरे ने ब ताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इसके लिए कंप्यूर विज्ञान क्षेत्र में एमटेक, बीटेक, एमएससी और के साथ नेट और गेट उपाधिधारक भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि पांच जनवरी तय की गई है।