कागजों में सिमटी गोशालाओं में अब नेपियर घास उगाने की है तैयारी, एक वर्ष तैयार हुई थी कार्ययोजना
सीवीओ डाक्टर बीपी पाठक ने कहा कि हाईब्रिड नेपियर घास पशुओं के लिए बेहतर हरा चारा है। एक बार काटने के बाद कई बार बढ़ती है। पिछले वर्ष तीन गोशाला में लगाई गई थी। चित्रकूट से संपर्क किया जा रहा है। वही से घास लाकर गोशालाओं में रोपाई कराई जाएगी।
प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी जिले के गोआश्रय स्थलों में संरक्षित बेसहारा मवेशियों को नियमित रूप से हरा चारा मिले, इसके लिए पशुपालन विभाग ने गोशालाओं नेपियर घास की रोपाई की कार्ययोजना एक वर्ष पूर्व तैयार की थी। तीन गोशालाओं में नेपियर घास की रोपाई कराई गई। देखरेख के अभाव में घास सूख गई। विभागीय अनदेखी की वजह से गोशालाओं में घास उगाने की कार्ययोजना कागजों में ही सिमट और सूखा भूसा खाने से गोशाला के मवेशियों की सेहत बिगड़ रही है। अब फिर योजना को कार्यरूप दिया जा रहा है।
खास बातें
69 गोआश्रय स्थल बनाए गए हैैं जिले में बेसहारा मवेशियों के लिए
09 हजार बेसहारा मवेशियों का संरक्षण किया गया है इन स्थलों में
30 प्रतिदिन के हिसाब से प्रति मवेशी की देखभाल को मिलता है सरकार से
03 गोशालाओं सौरई खुर्द, बैरआमद करारी व त्रिलोकपुर में सूखी घास।
यूपी सीएम गोसंरक्षण पर दे रहे जोर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से गोसंरक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस संबंध में जिला प्रशासन व पशुपालन विभाग को आवश्यक निर्देश भी जारी किया गया है। शासन के निर्देश पर जिले के बेसहारा मवेशियों के संरक्षण के लिए बनाए 69 गोश्रय स्थल बनाए गए हैं। इसमें लगभग 9000 मवेशियों का संरक्षण किया गया है। संरक्षित पशुओं की देखभाल व खानपान के लिए शासन की ओर से प्रति पशु 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब खर्च किया जा है। संरक्षित पशुओं को सूखा भूसा व नाम मात्र का राशन मिल पाता है, जिसकी वजह से उनकी सेहत बिगड़ रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र से नेपियर घास रोपी गई थी
मवेशियों की सेहत सुधारने के लिए साल भर हरा पौष्टिक चारा उपलब्ध हो सके, इसके लिए पशुपालन विभाग ने एक वर्ष पूर्व सभी गोशालाओं में नेपियर घास की रोपाई करने की कार्ययोजना तैयार की थी। एक वर्ष पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र महगांव से नेपियर घास मंगवाकर जिले के तीन गोआश्रय स्थलों रोपाई कराई थी। कास खंड सिराथू का सौरई खुर्द, नेवादा ब्लाक के बैरआमद करारी व कड़ा के त्रिलोकपुर शामिल था। देखरेख के अभाव में घास सूख गई। इसके बाद दूसरे गोशालाओं में पशुपालन विभाग ने नेपियर घास की रोपाई नहीं कराई है, जिसकी वजह से पशुओं को हरा पौष्टिक चारा नहीं उपलब्ध हो रहा है और वह कमजोर हो रहे हैं।
सीवीओ डाक्टर बीपी पाठक ने यह कहा
सीवीओ डाक्टर बीपी पाठक ने कहा कि हाईब्रिड नेपियर घास पशुओं के लिए बेहतर हरा चारा है। एक बार काटने के बाद कई बार बढ़ती है। पिछले वर्ष तीन गोशाला में लगाई गई थी। वहां की मिट्टी उपजाऊ नहीं थी, जिसकी वजह से खास सूख गई है। अब चित्रकूट जनपद से संपर्क किया जा रहा है। वही से घास लाकर गोशालाओं में रोपाई कराई जाएगी।