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तिमाही नहीं अब हर महीने माल की खरीद और बिक्री संबंधी बिल जमा करेंगे व्यापारी Prayagraj News

डेढ़ करोड़ से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को मासिक और डेढ़ करोड़ तक वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न जमा करने की व्यवस्था है। रिटर्न जमा करने के साथ ही व्यापारियों को माल की खरीद और बिक्री संबंधी बिल भी लगाना होता है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 04:34 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 04:34 PM (IST)
तिमाही नहीं अब हर महीने माल की खरीद और बिक्री संबंधी बिल जमा करेंगे व्यापारी Prayagraj News
खरीद और बिक्री के आधार पर ही व्यापारियों को आइटीसी का लाभ मिलता है।

प्रयागराज,जेएनएन। बड़े व्यापारियों की सहूलियत के लिए अब छोटे व्यापारियों को भी तिमाही की जगह मासिक बिल जमा करना होगा। इससे बड़े कारोबारियों को हर महीने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ आसानी से मिल सकेगा। तिमाही की जगह मासिक बिल जमा करने संबंधी निर्देश केंद्रीय अप्रत्यक्षकर एवं कस्टम विभाग ने जारी किए हैं।

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डेढ़ करोड़ से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को मासिक और डेढ़ करोड़ तक वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न जमा करने की व्यवस्था है। रिटर्न जमा करने के साथ ही व्यापारियों को माल की खरीद और बिक्री संबंधी बिल भी लगाना होता है। खरीद और बिक्री के आधार पर ही व्यापारियों को आइटीसी का लाभ मिलता है। लेकिन, छोटे व्यापारियों के तिमाही बिल जमा करने से बड़े व्यापारियों को हर महीने आइटीसी का लाभ नहीं मिल पाता था। उन्हें आइटीसी के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड़ता था।

इसकी वजह से बड़े व्यापारी डेढ़ करोड़ तक के सालाना टर्नओवर वाले व्यवसायियों से माल लेना  बंद कर दे रहे थे। व्यापारिक संगठनों ने इस समस्या के निराकरण की मांग सरकार से की थी। जिसके मद्देनजर केंद्रीय अप्रत्यक्षकर एवं कस्टम विभाग ने अब डेढ़ करोड़ और उससे ज्यादा सालाना टर्नओवर की क्राइटेरिया को समाप्त करते हुए जनवरी 2021 से यह व्यवस्था लागू कर दी है कि पांच करोड़ तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी तिमाही की जगह मासिक बिल जमा कर सकेंगे। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं ऐच्छिक है।  

रिटर्न जमा करने की व्यवस्था फिलहाल पूर्ववत

रिटर्न जमा करने की व्यवस्था फिलहाल पूर्ववत है। कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि इससे छोटे व्यापारियों पर काम का बोझ बढ़ेगा लेकिन, जिन्हें बड़े व्यापारियों के साथ खरीद-बिक्री करना है, वह इस व्यवस्था को जरूर अपनाएंगे। अन्यथा बड़े व्यापारी उनके यहां से माल खरीदने से परहेज करेंगे।


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