प्रतापगढ़ में तलवारबाजी खेल में कोच न होने से प्रभावित हो रहीं प्रतिभाएं, प्रदेश स्तर तक खिलाड़ी खेल चुके हैं
प्रतापगढ़ में पिछले वर्ष हाकी एथलीट हैंडबाल बास्केटबाल सहित छह खेलों के कोच की नियुक्ति हुई थी उन्हीं कोच को इस वर्ष अप्रैल में बहाल कर दिया गया। हालांकि तलवारबाजी के कोच की नियुक्ति नहीं की गई। इससे तलवारबाजी के खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के प्रतापगढ़ जनपद की प्रतिभाएं प्रदेश स्तर तक के खेलों में भाग ले चुकी हैं। अपने दमखम के माध्यम से नाम भी रोशन किया है। इन दिनों स्टेडियम में तलवारबाजी के कोच का अभाव होने के कारण खिलाडिय़ों की तलवार की धार कुंद पड़ती जा रही है। प्रतिभाओं को उम्मीद है कि जल्द ही कोच की नियुक्ति होगी ताकि बेहतर प्रशिक्षण मिल सकेगा और एक बार फिर जिले का नाम रोशन कर चुके हैं।
पिछले वर्ष छह खेलों के कोच की हुई थी नियुक्ति : प्रतापगढ़ में जिला मुख्यालय स्थित स्टेडियम में हाकी, क्रिकेट, वालीबाल, एथलीट, हैंडबाल, बास्केटबाल, तलवारबाजी सहित अन्य खेलों के कैंप चलते रहे हैं। कोरोना काल में मार्च 2020 में सभी खेलों के कोच की संविदा समाप्त कर दी गई थी। पिछले वर्ष हाकी, एथलीट, हैंडबाल, बास्केटबाल सहित छह खेलों के कोच की नियुक्ति हुई थी, उन्हीं कोच को इस वर्ष अप्रैल में बहाल कर दिया गया। हालांकि तलवारबाजी के कोच की नियुक्ति नहीं की गई। इससे प्रैक्टिस के अभाव में तलवारबाजी के खिलाडिय़ों की तलवार की धार कुंद पड़ती जा रही है।
इन खिलाडि़यों ने नाम रोशन किया है : प्रतापगढ़ की खिलाड़ी लवली मिश्रा ने वर्ष 2016 में स्टेट में आयोजित सबर इवेंट में चैपियन रही बनी थीं। विनीता सिंह ने कैडेट नेशनल चैंपियनशिप में प्रतिभाग किया था। अलका सरोज भी वर्ष 2016 में इवेंट इपी में चैंपियन रह चुकी हैं। वैष्णवी उपाध्याय 2017 में जूनियर नेशनल में प्रतिभाग कर चुकी है। मोहित गप्ता कई इवेंट में प्रतिभाग कर चुके हैं। दो वर्ष से स्टेडियम में तलवारबाजी का कैंप बंद है। ऐसे में खिलाड़ी घर पर किसी तरह प्रैक्टिस कर रहे हैं, लेकिन यह एक ऐसा खेल है कि जिसमें बिना कोच के मार्गदर्शन के प्रैक्टिस करना खतरे से खाली नहीं रहता हैं।
वीडियो कालिंग के जरिए सिखा रहे पूर्व कोच : कोच रह चुके अजय सिंह भी नियुक्ति न होने से अपने पैतृक गांव में ठिकाना बना चुके हैं। खिलाड़ी उनसे वीडियो काल के जरिए कुछ गुर सीखने का प्रयास करते हैं, लेकिन व्यवहारिक प्रशिक्षण ना मिलने सही तरह से प्रैक्टिस नहीं हो पा रही है। खिलाडिय़ों की पीड़ा यह है कि सरकार अन्य खेलों को तो बढ़ावा दे रही है तो तलवारबाजी के खिलाडिय़ों के साथ यह कैसा व्यवहार किया जा रहा है।
क्रीड़ाधिकारी ने क्या कहा : प्रतापगढ़ की क्रीड़ाधिकारी पूनमलता राज कहती हैं कि तलवारबाजी के कोच की संविदा वर्ष 2020 में समाप्त हो गई थी। इसके बाद से नवीनीकरण नहीं हुआ। इसलिए तलवारबाजी के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने नहीं आ रहे हैं।
Edited By Brijesh Srivastava