Move to Jagran APP

मिसाल-बेमिसाल: 26 साल की उम्र में 17 बार रक्तदान कर प्रयागराज के नीलेश बने युवाओं के लिए प्रेरणा

महज 26 साल की उम्र में 17 बार रक्तदान कर चुके अभिषेक शुक्ला उर्फ नीलेश। युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके प्रयागराज में कौंधियारा इलाके के नीलेश को इस महादान के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 04:56 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 04:56 PM (IST)
मिसाल-बेमिसाल:  26 साल की उम्र में 17 बार रक्तदान कर प्रयागराज के नीलेश बने युवाओं के लिए प्रेरणा
प्रयागराज में कौंधियारा इलाके के नीलेश को इस महादान के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।

प्रयागराज, जेएनएन। आज यानी सोेमवार को विश्व रक्तदान दिवस पर प्रयागराज में भी अलग अलग स्थानों तथा अस्पतालों में कई संस्थाओं द्वारा आयोजित शिविर में तमाम लोगों ने रक्तदान किया है। इनमें कुछ लोग ऐसे हैं जो खुद रक्तदान के लिए मिसाल बने हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे लोगों में ही एक है महज 26 साल की उम्र में 17 बार रक्तदान कर चुके अभिषेक शुक्ला उर्फ नीलेश। युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके प्रयागराज में कौंधियारा इलाके के नीलेश को इस महादान के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।

loksabha election banner

2012 से सक्रिय हैं नीलेश, ला रहे जागरूकता

यमुनापार इलाके में जारी के पास दगवां निवासी डॉ. प्रेम शंकर शुक्ल के छोटे पुत्र अभिषेक उर्फ नीलेश 18 साल की उम्र यानी बालिग होने के बाद से रक्तदान करने लगे थे। वैसे तो वह 2012 से ही रक्तदान के लिए ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता तथा लोगों में गलतफहमी दूर करने के लिए सक्रिय हैं। कम उम्र में ही नीलेश को रक्तदान की ऐसी प्रेरणा मिली कि वह पिछले आठ साल में अब तक 17 बार रक्तदान कर चुके हैं। अगर कभी खुद रक्तदान नहीं कर पाते तो जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए दूसरे स्थानों से ब्लड का इंतजाम करते हैं। इसी दिशा में काम करने के लिए निलेश ने उत्थान ग्रामोदय ट्रस्ट नामक संस्था स्थापित की है जिसके सभी सदस्य नियमित रूप से रक्तदान करते रहते हैं। वर्ष 2014 में नीलेश को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की तरफ से सात बार स्वैच्छिक रक्तदान के लिए पुरुस्कृत भी किया गया था। 

कहते हैं युवाओं से, समाज के लिए करो योगदान

नीलेश का मानना है कि हर स्वस्थ मनुष्य को वर्ष में कम से कम एक बार तो रक्तदान अवश्य करना चाहिए। वैेसे तो कोई भी स्वस्थ पुरुष हर तीन महीने में रक्तदान कर महादानी होने का गौरव हासिल कर सकता है। बकौल निलेश रक्तदान युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है और समाज के लिए अपना योगदान देने का सबसे सरल तरीका है। अबकी 14 जून को वह रक्तदान नहीं कर सके क्योंकि 27 मई को उन्होंने एक महिला के लिए रक्तदान किया था। इलाके में लोग नीलेश को रक्तदानी तक कहते हैं। अब नीलेश की वजह से इलाके के युवाओ में रक्तदान के प्रति चेतना आ रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.