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प्रयागराज के 61 सिलिका सैंड प्लांटों पर 4.5 करोड़ का जुर्माना, एनजीटी की कार्रवाई Prayagraj News

एनजीटी ने सिलिका सैंड वाशिंग प्‍लांटों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन पर जुर्माना लगाया और नोटिस भेजी है। 20 दिसंबर तक जवाब मांगा है। प्‍लांट पर्यावरण प्रदूषण के लिए खतरा थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 02:50 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 02:50 PM (IST)
प्रयागराज के 61 सिलिका सैंड प्लांटों पर 4.5 करोड़ का जुर्माना, एनजीटी की कार्रवाई Prayagraj News
प्रयागराज के 61 सिलिका सैंड प्लांटों पर 4.5 करोड़ का जुर्माना, एनजीटी की कार्रवाई Prayagraj News

प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यमुनापार स्थित सिलिका सैैंड वॉशिंग प्लांटों से फैले प्रदूषण को लेकर सख्त कदम उठाया है। एनजीटी ओवर साइट कमेटी के चेयरमैन जस्टिस राजेश कुमार ने शंकरगढ़ में 61 सिलिका सैैंड वॉशिंग प्लांटों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तहत जुर्माना लगाया है। प्रत्येक प्लांट पर 7.25 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह रकम चार करोड़ 42 लाख 25 हजार रुपये बनती है। जुर्माना राशि इसी माह जमा करने के निर्देश दिए गए हैैं।

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एनजीटी ने इन प्लांट पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए जुर्माना ठोंका है

यमुनापार के शंकरगढ़ इलाके में संचालित उक्त सभी सिलिका सैैंड वॉशिंग प्लांटों को (एनजीटी) के निर्देश पर इसी साल जुलाई माह में बंद करा दिया गया था। अब ट्रिब्यूनल ने इन प्लांट पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए जुर्माना ठोंका है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सभी प्लांट संचालकों को इसके लिए नोटिस भेजा गया है। उनसे 20 दिसंबर तक जवाब तलब किया गया है। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी जेबी सिंह ने बताया कि सभी प्लांट सील करा दिए गए हैैं।

सिलिका वॉशिंग प्लांटों से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित थे

इन सिलिका वॉशिंग प्लांटों से निकलने वाले हानिकारक धूल के कण से 200 से ज्यादा गांव, बाजार और नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे थे। कई तरह की बीमारियां की चपेट में आ गए हैैं। फसलों के उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। प्रदूषण से फलदार पौधे ही नहीं, जंगली पेड़ तक सूखते जा रहे थे। पूरा इलाका क्रिटिकल पॉल्यूशन जोन में आ गया है। इन प्लांटों में भारी मात्रा में जल का भी दोहन हो रहा था। अनुमान है कि एक प्लांट में करोड़ों लीटर पानी की बर्बादी होती थी। चार-चार पंपिंग सेट लगाए गए थे, जिससे सिलिका सैैंड साफ कर अलग किया जाता था। अत्याधिक जल के दोहन की वजह से शंकरगढ़ विकासखंड डॉर्क जोन में आ गया था। इन प्लांटों को तोडऩे का भी एनजीटी ने निर्देश दे दिया है। ट्रिब्यूनल के निर्देश मेें स्पष्ट कहा गया है कि प्लांटों को तोड़कर जमीन को पूर्व की स्थिति में लाया जाए।

बेशकीमती है शंकरगढ़ का 'सफेद सोना'

मध्य प्रदेश की सीमा से सटा शंकरगढ़ इलाका पूरे देश में बेशकीमती सिलिका सैंड के लिए जाना जाता है। यहां सिलिका सैैंड को सफेद सोना भी कहा जाता है। यहां से प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड के अलावा नेपाल भी सिलिका सैैंड भेजा जाता था। सिलिका सैैंड की प्रचुरता के चलते ही घूरपुर में ग्लास फैक्ट्री लगाई गई थी। कभी यह एशिया भर में प्रसिद्ध थी। हालांकि यह अब बंद हो गई है।

एनजीटी ओवर साइट कमेटी के चेयरमैन ने कहा

ओवर साइट कमेटी, एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति राजेश कुमार कहते हैं कि शंकरगढ़ के 61 सिलिका सैैंड वॉशिंग प्लांट पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया है। लगभग पांच माह से ये प्लांट बंद हैैं। ट्रिब्यूनल से इन प्लांटों को तोडऩे का भी आदेश दिया गया है।


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