आने वाली पीढि़यों को भी पता चले कि क्या है अक्षयवट
संगम स्नान के बाद हर किसी की इच्छा होती है कि अक्षयवट का दर्शन करे लेकिन अकारण इसे बंद कर श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाया जा रहा है।
प्रयागराज : जो अक्षयवट ¨हदुओं के आस्था का केंद्र है वह कैद किया गया है। ¨हदुओं के आस्था को मजाक बना दिया गया है। जिले का नाम तो प्रयागराज कर दिया गया है लेकिन अब किले में कैद अक्षयवट का दर्शन कब होगा इसका इंतजार हर किसी को होगा। यह कहना है शहर के प्रबुद्ध वर्ग का।
पूर्व मंत्री सुभाष पांडेय कहते हैं जिस प्रयागराज में देश दुनिया के लोग दर्शन पूजन करने आते हैं वहां अक्षयवट को कैद करना अनुचित है। खुद को ¨हदूवादी बताने वाली इस सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना होगा। राममंदिर की मुहिम तो चल रही है लेकिन अक्षयवट को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस किले को पूरी तरह से खोल देना चाहिए यह देश की विरासत है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता शशांक मौर्य कहते हैं कि संगम स्नान के बाद हर किसी की इच्छा होती है कि अक्षयवट का दर्शन करे लेकिन अकारण इसे बंद कर श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाया जा रहा है। इसे लेकर सभी को एकजुट होने की जरूरत है।
सोशल वर्कर सुमनलता त्रिपाठी का कहना है कि जिस प्रयागराज में इतने मंत्री व विधायक हैं उसी प्रयागराज में अक्षयवट के दर्शन पर रोक लगाना शर्मनाक है। यहां के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वह किले में बंद अक्षयवट को दर्शन के लिए लगी पाबंदी को हटवाने की पहले करें।
लायंस क्लब सिटी की अध्यक्ष रागिनी कहती हैं सुरक्षा का हवाला देकर अक्षयवट का दर्शन करने से रोका जा रहा है। यदि वाकई में ऐसी बात है तो सरकार को सुरक्षा और बढ़ा देनी चाहिए। दर्शन के लिए कुछ समय निर्धारित कर दिया जाना चाहिए ताकि उस समय लोग वहां जाकर अक्षयवट का दर्शन कर सकें। जो लोग बाहर से आते हैं उन्हें भी हम लोग अक्षयवट का दर्शन करा सकेंगे। चिकित्सक डॉ. राकेश पासवान का कहना है कि धार्मिक दृष्टिकोण से हमारे इस प्रयागराज का महत्व अधिक है। हमारी नई पीढ़ी तो अक्षयवट के बारे में जानती भी नहीं, इसे सिर्फ अकबर के नाम से संबोधित किया जाता है। सरकार को ¨हदुओं की आस्था का ख्याल रखते हुए अक्षयवट को आजाद करना होगा।