रेलवे अस्पताल प्रयागराज में लापरवाही, यूनियन ने उठाई आवाज, मरीज की मौत के कई दिन बाद दी जा रही सूचना
मरीज को भर्ती करने के बाद उनके स्वास्थ्य की जानकारी नहीं दी जाती। हालत बिगडऩे या मौत होने के बाद मोबाइल पर फोन कर सूचना दी जाती है। नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन के महामंत्री मनोज पांडेय का कहना है कि रेलकर्मियों के मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय में कोविड मरीजों के इलाज के नाम पर लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है। यूनियन ने विरोध जताते हुए आवाज बुलंद की है। पदाधिकारियों ने जल्द सुधार न किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं, तीमारदारों का कहना है कि मरीज को भर्ती करने के बाद उनके स्वास्थ्य की जानकारी नहीं दी जाती है। हालत बिगडऩे या मौत होने के बाद मोबाइल पर फोन कर सूचना दी जाती है। नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन के महामंत्री मनोज पांडेय का कहना है कि रेलकर्मियों के मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है। उनका इलाज किए बगैर लौटाया जा रहा है। अस्पताल के अंदर लापरवाही भी चरम पर है।
भोजन पहुंचाने के नाम पर वसूली
सेवानिवृत्त रेलकर्मी एएन सिन्हा 67 की हालत बिगड़ी तो 14 अप्रैल को उनके बेटे रोहित राज ने उन्हें केंद्रीय चिकित्सालय में भर्ती कराया। रोहित बताते हैं कि अव्यवस्था और गंदी के चलते 16 को घर ले गए। हालत बिगडऩे पर दोबारा 16 अप्रैल को भर्ती कराया। आरोप है कि भोजन भेजने के नाम पर भी रुपये देने पड़ते थे। इसके बावजूद कई बार चार से छह घंटे टिफिन बाहर ही रख दिया जाता था। अंदर मरीज भूख से तड़पता है। बताया कि 26 अप्रैल की रात ऑक्सीजन न मिलने की वजह से पिता का निधन हो गया। अगले दिन यानी 27 अप्रैल को सुबह अस्पताल पहुंचा तो उनकी मौत की जानकारी हुई।
पिता की मौत की भी नहीं दी सूचना
रेल कर्मचारी संजय कुमार बताते हैं कि उनके पिता राम स्वरूप दोहरे (81) को बुखार, खासी व जुकाम हुआ तो 14 अप्रैल को आरटीपीसीआर जांच कराई। 16 को संक्रमण की पुष्टि हुई तो डॉक्टर की सलाह लेने के बाद घर पर ही आइसोलेट थे। 22 अप्रैल को हालत बिगडऩे पर रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय में भर्ती कराया। लेकिन, तभी से उनके स्वास्थ्य की कोई जानकारी नहीं दी गई। एक रिश्तेदार ने बताया तो पता चला कि 24 अप्रैल को मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अस्पताल की ओर से भी कोई सूचना दी गई थी। बुधवार यानी 28 अप्रैल को अस्पताल से शव और डेथ सर्टिफिकेट मिला, जिस पर 24 अप्रैल की मौत की बात लिखी है। विभाग के सीनियर अधिकारी से शिकायत भी की लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई।