Navratri 2020 : शारदीय नवरात्र का आरंभ कल से होगा, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
Navratri 2020 प्रयागराज के ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि शुक्रवार की रात 1.52 बजे प्रतिप्रदा तिथि लग जाएगी जिसका मान शनिवार की रात 11.28 बजे तक रहेगा। सुबह 8.40 से 10.57 बजे स्थिर लग्न चित्र नक्षत्र विषकुंभ योग व किंस्तुघ्न करण रहेगा।
प्रयागराज, जेएनएन। भक्ति, समर्पण व साधना का पर्व शारदीय नवरात्र शनिवार से आरंभ होगा। नौ दिवसीय नवरात्र के प्रथम दिन मां भगवती के शैलपुत्री स्वरूप की साधना होगी। इस बार पूरे नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाएगा। यहां हम आपको बताएंगे कि किस शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें। ज्योतिर्विद शारदीय नवरात्र के फल, पूजन की विधि आदि के विषय में जानकारी दे रहे हैं।
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि शुक्रवार की रात 1.52 बजे प्रतिप्रदा तिथि लग जाएगी, जिसका मान शनिवार की रात 11.28 बजे तक रहेगा। सुबह 8.40 से 10.57 बजे स्थिर लग्न, चित्र नक्षत्र विषकुंभ योग व किंस्तुघ्न करण रहेगा। दोपहर में 11.42 से 12.27 बजे तक अभिजित मुहूर्त है। कलश स्थापित करने का यह भी उत्तम योग है। दोनों मुहूर्त में किसी एक की समयावधि में कलश स्थापित करके मां भगवती की पूजा आरंभ करना उत्तम रहेगा।
इस बार नवरात्र में दुर्लभ संयोग बन रहा है : आचार्य विद्याकांत
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि संकल्प के साथ मां की साधना आरंभ करनी चाहिए। जिस घर में कलश स्थापित हो, उसके सदस्य मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें। व्रती लोग किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं। वहीं आचार्य विद्याकांत बताते हैं कि इस बार नवरात्र में दुर्लभ संयोग बन रहा है। मौजूदा समय तुला राशि में सूर्य संचरण कर रहे हैं। इसी राशि में बुध वक्री हैं। इससे 'बुध-आदित्य योग' बन रहा है। जबकि शनि अपनी स्वराशि मकर और गुरु अपनी स्वराशि धनु राशि में संचरण करेंगे। यह मानव जीवन में शक्ति, ऊर्जा का संचार करेगा। नवरात्र में ऐसा अद्भुत संयोग 1962 में बना था।
खरीदारी का है शुभ योग
आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि दशहरा तक प्रतिदिन खरीदारी का शुभ योग बन रहा है। खरीदारी के लिए त्रिपुष्कर योग, सौभाग्य योग, रवि योग जैसे खास मुहुर्त भी बनेंगे। इन शुभ संयोग में प्रापर्टी, वाहन, फर्नीचर, टीवी, फ्रिज सहित भौतिक सुख-सुविधाओं के समान व मांगलिक कार्यों के लिए खरीददारी करना उत्तम होगा।
पाठ से होगी कामना की पूर्ति
मां भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। हर पाठ का अपना महत्व है। उसे करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
-प्रथम पाठ से चिंता मुक्ति।
-द्वितीय पाठ से शत्रु परास्त।
-तृतीय पाठ से शत्रु परास्त।
-चतुर्थ पाठ से आध्यात्मिक उन्नति।
-पंचम पाठ से आध्यात्मिक उन्नति।
-षष्ठ पाठ से ऊपर बाधा से छुटकारा।
-सप्तम पाठ से मनोकामना पूॢत।
-अष्टम पाठ से परिवारिक शांति।
-नवम पाठ से संतान की प्राप्ति।
-दसम पाठ से संतान की प्राप्ति।
-एकादस पाठ से आॢथक उन्नति, सुख सौभाग्य की प्राप्ति।
-द्वादश पाठ से मान सम्मान की वृद्धि।
-त्रयोदश पाठ से आध्यात्मिक उन्नति।
कामना की पूर्ति के लिए इसे करें अर्पित
-गाय का दूध - आरोग्य प्राप्ति
-शक्कर - दीर्घायु
-दूध - कष्टों से छुटकारा
-केला - बुद्धि विकास
-शहद - सुंदरता एवं आकर्षण
-नारियल - पीड़ा शमन
-धान -सुख समृद्धि
-मालपुआ - निर्णय शक्ति का विकास
-गुड़ - शोक मुक्ति, विपत्तियों से रक्षा।