ये हैं प्रयागराज के प्राकृतिक चिकित्सक, कोविड संक्रमण काल में पुस्तकों से सीख रहे हैं जीवन जीने की कला
इन दिनों प्राकृतिक चिकित्सक आकाश जायसवाल अपना अधिकांश समय पुस्तकों के बीच गुजार रहे हैं। प्रेरणादायक पुस्तकों के साथ ही अध्यात्म व योग की किताबें भी पढ़ रहे हैं। गीता का भी अध्ययन कर रहे हैं। हार्ट फुलनेश वे नियति का निर्माण योग से उपचार जैसी किताबें पढ़ चुके हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। व्यक्ति के विचारों में लचीलापन होना चाहिए। नयापन भी जरूरी है। खुद को बांधें नहीं। सभी चीजों को समझें और उनका विश्लेषण कर आवश्यकता के अनुसार आत्मसात भी करते रहना चाहिए। वास्तव में जीवन खुलने का नाम है। चीजों को स्वीकारने का अवसर भी यहीं मिलता है। यह दार्शनिक विचार कीडगंज निवासी योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक आकाश जायसवाल के हैं।
प्रेरणादायक, अध्यात्म व योग की किताबें भी पढ़ रहे
इन दिनों प्राकृतिक चिकित्सक आकाश जायसवाल अपना अधिकांश समय पुस्तकों के बीच गुजार रहे हैं। प्रेरणादायक पुस्तकों के साथ ही अध्यात्म व योग की किताबें भी पढ़ रहे हैं। गीता का भी अध्ययन कर रहे हैं। सोच क्या है, हार्ट फुलनेश वे, नियति का निर्माण, योग से उपचार जैसी किताबें पढ़ चुके हैं। कहते हैं कि 12वीं की पढ़ाई गणित वर्ग से की। स्नातक कामर्स से करने के बाद एमबीए किया। उसके बाद नेचुरोपैथी का तीन वर्ष का डिप्लोमा कर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ गए।
कहा, अध्ययन के दायरे को भी बढ़ाने में मदद मिली
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में महामारी और लॉकडाउन के चलते अधिकांश समय घर में ही बीत रहा है। इसकी वजह से खुद को समय दे पा रहे हैं। अध्ययन के दायरे को भी बढ़ाने में मदद मिली। कई किताबों को पढ़ा। पहले तो कोरोना को लेकर तमाम तरह के शोध को इंटरनेट मीडिया पर पढ़ा। यह क्रम अब भी जारी है। इसके साथ ही गीता का भी अध्ययन कर रहे हैं। इसमें जीवन में संतुलन बनाने की सीख मिलती है। कई बार लोग गीता को वैराग्य या सन्यास के संदर्भ में देखते हैं जब कि यह सांसारिक जीवन को जीने की कला सिखाती है। सब से महत्वपूर्ण बिंदु यह कि भौतिकवाद और अध्यात्म को साथ लेकर बढऩे की बात इसमें निहित है।