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हस्तशिल्प और लोकनृत्यों की बहुरंगी छटा के बीच राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरुआत

एनसीजेडसीसी में शिल्प मेले की शुरुआत मंगलवार से हो गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 12:47 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 12:47 AM (IST)
हस्तशिल्प और लोकनृत्यों की बहुरंगी छटा के बीच राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरुआत
हस्तशिल्प और लोकनृत्यों की बहुरंगी छटा के बीच राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरुआत

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : मन को तरंगित कर देने वाले आचलिक लोकनृत्य, देशज लोकगीत, भजन गायन और विभिन्न प्रदेशों के मशहूर खानपान की बहुरंगी छटा के बीच राष्ट्रीय शिल्प मेले की बुधवार शाम से शुरूआत हो गई। उत्तर मध्य क्षेत्र सास्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में 12 दिसंबर तक के लिए लगे इस मेले में देश भर से नामी गिरामी हस्तशिल्प कारीगर आए हैं तो जयपुर की सुविख्यात कच्ची घोड़ी नृत्य सभी के आकर्षण का केंद्र है। मंडलायुक्त संजय गोयल ने इसका शुभारंभ करते हुए शिल्प सामग्रियों के स्टाल को भी देखा।

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शुभारंभ अवसर पर एनसीजेडसीसी के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने शिल्प मेला के बारे में संपूर्ण जानकारी दी व इसे जनमानस से जोड़ते हुए हस्तशिल्प कारीगरी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मुख्य अतिथि मंडलायुक्त संजय गोयल ने विभिन्न राज्यों से आए शिल्पियों के उस प्रयास की सराहना की जिसमें विषम परिस्थितियों में कारीगरों ने देश की रंगविरंगी व पारंपरिक सास्कृतिक पहचान को जीवित रखा है। शिल्प हाट के मंच पर गीत संगीत की शाम भी सजी। जिसमें बहुचर्चित भजन गायिका सुश्री अंकिता चतुर्वेदी ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। रामचंद्र कृपालु भजमन की प्रस्तुति ने पूरे पंडाल को भक्तिमय कर दिया। वीर रस प्रधान आल्हा गायन की प्रस्तुति भी हुई जिसमें नेहा सिंह व उनके दल ने माड़वगढ़ की लड़ाई प्रसंग को सुनाकर पूरे माहौल को गर्मजोशी से भर दिया। लोकनृत्यों की श्रृंखला में त्रिपुरा से आई पंचाली देव बर्मा व उनके दल ने ममिता एवं लबाग बोमानी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति के लिए छिन्दवाड़ा मध्य प्रदेश से आए विजय कुमार बंदेवार और उनके दल ने शैला एवं गैंड़ी नृत्य प्रस्तुत किया। बुंदेलखंड का श्रृंगार प्रधान नृत्य 'राई' भी दर्शकों को खूब भाया। इसमें राम सहाय पाडेय और उनके दल ने 'गोकुल वाले सावरिया, ले चल अपनी नागरिया' से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। हरियाणा की माटी की सोंधी महक को फाग लोकनृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसमें भाभी और देवर की नोक-झोंक और होली जैसे पर्व पर एक अलग ठसक भरी मस्ती ने दर्शकों को सम्मोहित किया। चौरासी कोस में फैले ब्रज मंडल से आए कलाकारों ने बरसाने की लठमार होली, फूलों की होली के साथ मयूर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।

इससे पहले राष्ट्रीय शिल्प मेला के शुभारंभ अवसर पर एनसीजेडसीसी से शोभायात्रा भी निकाली गई। यह यात्रा एजी आफिस, पत्थर गिरजाघर, सुभाष चौराहा, सिविल लाइंस व राजापुर होते हुए एनसीजेडसीसी पर वापस पहुंची।


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