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महंत नरेंद्र गिरि केस में CBI ने पुजारी आद्या से पूछा, कैसे बनाया करोड़ों रुपये का मकान

यह भी पूछा गया कि वह कई सालों से मंदिर और महंत की सेवा कर रहा था तब अचानक आनंद गिरि के पक्ष में झुकाव कैसे हुआ। मंदिर में कभी नरेंद्र और आनंद गिरि के विवाद हुआ था या नहीं। झगड़ा हुआ तो वजह क्या थी

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 10:30 AM (IST)
महंत नरेंद्र गिरि केस में CBI ने पुजारी आद्या से पूछा, कैसे बनाया करोड़ों रुपये का मकान
सीबीआइ टीम लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे से पूछताछ करती रही

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु से जुड़ी अनसुलझी गुत्थी को भी सीबीआइ की टीम सुलझाने की कोशिश कर रही है। मंगलवार की तरह बुधवार को टीम लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे से पूछताछ करती रही। सीबीआइ टीम ने पुजारी आद्या से पूछा कि जब वह मंदिर में महज नौ हजार रुपये की नौकरी कर रहा था, तब करोड़ों रुपये का मकान कैसे बनवाया।

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महंत और आनंद से जुड़े सवाल भी पूछे

इस सवाल का जवाब जब वह ठीक से नहीं दे पाया तो अफसरों ने मंदिर के पैसे से जुड़ा सवाल दागा। यह भी पूछा गया कि वह कई सालों से मंदिर और महंत की सेवा कर रहा था, तब अचानक आनंद गिरि के पक्ष में झुकाव कैसे हुआ। मंदिर में कभी नरेंद्र और आनंद गिरि के विवाद हुआ था या नहीं। झगड़ा हुआ तो वजह क्या थी। जिस संपत्ति को लेकर टकराव की वजह बताई जा रही है, वह कौन-कौन सी है। सूत्रों का दावा है कि सीबीआइ के सवालों का जवाब देते-देते कई बार आद्या अपने माथे पर हाथ रख लेता और मुझे नहीं पता होना बोलता। वहीं, आद्या के बेटे से भी अफसरों ने कड़ाई से पूछताछ की तो वह नर्वस हो गया। उससे पूछा गया कि उसके मोबाइल में महंत नरेंद्र के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वाला आडियो कहां से आया था। मंदिर परिसर में उसे लड्डू की दुकान कब मिली थी और उससे रोजाना कितनी कमाई होती थी। गुरु-शिष्य के बीच विवाद होने के बाद उससे दुकान वापस लेकर किसको व कब दी गई। घटना के दिन वह कहां और क्या कर रहा था। पुलिस ने उसे कब और कहां से पकड़ा था। वह आनंद गिरि के लिए ही क्यों काम करता था, जबकि उसका भाई दिलीप महंत के मठ में ही रहता है। बताया जाता है कि सीबीआइ ने पहले पिता और पुत्र से अलग-अलग पूछताछ की। इसके बाद दोनों को आमने-सामने बैठाकर कई सवालों के जवाब जाने गए। फिलहाल इनसे आगे भी पूछताछ होती रहेगी, जिससे कुछ सुराग मिलने की उम्मीद है।

महंत की मनोदशा का पता लगा रही टीम

पुलिस की थ्योरी थी कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्हत्या की थी। उसके पीछे कमरे से मिले सुसाइड नोट को कारण बताया था। सीबीआइ की टीम ने भी उसी थ्योरी पर जांच शुरू करते हुए शिष्यों से लेकर सेवादारों तक से पूछताछ की। इसमें टीम ने महंत की मनोदशा के बारे में पता लगाने से जुड़े सवाल पूछे। सीबीआइ यह पता लगाने की कोशिश करती रही कि घटना से पहले उनके स्वभाव में कोई बदलाव आया था कि नहीं। रोजाना जिस तरह से लोगों से मिलते-जुलते थे, उसमें कितना बदलाव आया था। कोई ऐसी बात थी, जिसको बताते-बताते रुक जाते थे। रुटीन में वह कोई काम आगे के लिए टाल रहे थे अथवा नहीं। ऐसी और भी कई जानकारी हासिल करने के पीछे महंत की मनोदशा जानना उद्देश्य बताया जा रहा है। ताकि अगर उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया तो उससे परिस्थितियां मेल खा रही हैं या नहीं। 


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