आवाहन अखाड़ा ने पहली बार निकाली अलग पेशवाई, नागा संन्यासियों के करतब बने आकर्षण
परंपरा, वैभव व भव्यता की अलख जगाते हुए श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के महात्माओं ने कुंभ मेला क्षेत्र में गुरुवार को प्रवेश किया।
प्रयागराज, जेएनएन। परंपरा, वैभव व भव्यता की अलख जगाते हुए श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के महात्माओं ने कुंभ मेला क्षेत्र में गुरुवार को प्रवेश किया। ध्वज-पताका, बैंडबाजा, हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ निकली पेशवाई में सैकड़ों नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर व महात्मा शामिल हुए। हर बार जूना व अग्नि के साथ आवाहन अखाड़ा की पेशवाई निकलती थी, लेकिन मड़ौका गांव नैनी में अखाड़ा का आश्रम बन जाने पर पहली बार अलग पेशवाई निकाली गई।
सुबह आश्रम में अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरि के नेतृत्व में आराध्य देव सिद्ध गणेश भगवान का विधि-विधान से पूजन हुआ। उसके बाद अखाड़ा के महात्माओं ने खिचड़ी, देशी, पापड़ व दही का प्रसाद ग्रहण किया, तब पेशवाई आरंभ हुई। अखाड़ा का ध्वज सबसे आगे था, पीछे करतब दिखाते नागा संन्यासियों का हुजूम था। शंख वादन, नगाड़ा बजाते हुए जयकारा लगाते हुए महात्माओं का हुजूम सड़क पर निकला तो हर किसी की आंखें उनके ऊपर टिक गई। पेशवाई का नेतृत्व श्रीमहंत सत्य गिरि ने किया। चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर वह भक्तों को आशीष देते हुए चल रहे थे। इनके पीछे कई और महात्मा रथ पर विराजमान थे। विभिन्न मार्गों से होते हुए पेशवाई कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 16 स्थित आश्रम पहुंची। वहां आराध्य देव की पालकी मंत्रोच्चार के बीच स्थापित करके महात्माओं ने डेरा डाल दिया।
11 मीटर लंबा था ध्वज
पेशवाई में सबसे आगे आवाहन अखाड़ा का ध्वज था। लाल रंग का ध्वज 11 मीटर लंबा और 20 फीट ऊंचा था, उसे चार महात्मा पूरे समय पकड़े रहे। ध्वज में सिद्ध गणेश भगवान के अलावा रिद्धि-सिद्धि का चित्र बना था।
मोबाइल में कैद की पेशवाई
पेशवाई देखने के नैनी, नए यमुना पुल, त्रिवेणी रोड व बांध के पास बच्चे, नर व नारी श्रद्धाभाव में खड़े रहे। लोगों ने हाथ जोड़कर व पुष्पवर्षा करके महात्माओं का स्वागत किया। साथ ही नागा संन्यासियों का करतब एवं पेशवाई का दृश्य मोबाइल में कैद किया।