MP MLA COURT: जानिए किस मामले में सपा विधायक प्रभु नारायण की जमानत अर्जी हुई निरस्त
कोर्ट ने चंदौली के सकलडीहा से समाजवादी पार्टी के विधायक प्रभु नारायण सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी l कोर्ट ने कहा है कि प्रकरण में कोई भी आरोप पत्र दाखिल नहीं है। और न ही प्रकरण की पत्रावली विचाराधीन है।
प्रयागराज, जेएनएन। एमपी एमएलए कोर्ट ने चंदौली के सकलडीहा से समाजवादी पार्टी के विधायक प्रभु नारायण सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी l कोर्ट ने कहा है कि प्रकरण में कोई भी आरोप पत्र दाखिल नहीं है। और न ही प्रकरण की पत्रावली विचाराधीन है। इस स्तर पर न्यायालय को अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। स्पेशल कोर्ट के जज डा. दिनेश चंद्र शुक्ला ने एडीजीसी सुशील कुमार वैश्य और आरोपी विधायक के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
पुलिस से हाथापाई और सरकारी काम में बाधा
चंदौली जनपद के बुलवा थाने में उपनिरीक्षक शिव शंकर सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 12 दिसंबर 2021 को वह अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन पर कानून-व्यवस्था की ड्यूटी में था। अचानक विधायक सकलडीहा अपने समर्थकों और सपा नेता संतोष यादव के साथ बड़ी संख्या में आए और सरकार विरोधी नारा लगाने लगे। समझाने पर नहीं माने और पुलिस बल के साथ हाथापाई करने लगे व सरकारी कार्य में अवरोध उत्पन्न किया। विधायक की ओर से स्पेशल कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई की और अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए कहा कि इस न्यायालय में उन्हीं पत्रावली पर विचार किया जाता है जो विचाराधीन है।
गैंगस्टर के मुकदमे में जमानत
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलीगढ़ के तेजवीर सिंह उर्फ गुड्डू की गैंगस्टर के मामले में जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। इसके खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाना में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। स्पेशल कोर्ट गैंगस्टर अलीगढ़ से जमानत नामंजूर होने के बाद तेजवीर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। अर्जी पर न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सुनवाई की।
याची के वकील का तर्क था कि उसे गैंगस्टर के मामले में झूठा फंसाया गया है। उसका कोई गैंग नहीं है। उसके लंबे आपराधिक इतिहास के संबंध में अधिवक्ताओं का कहना था कि ज्यादातर मामले में वह छूट चुका है या जमानत पर है। कई सिविल विवादों के मामले में भी वह जमानत पर है। अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिस जानबूझकर याची को बार-बार फर्जी मुकदमे में फंसाती है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील याची के अधिवक्ताओं की दलीलों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।