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Mother's Day 2021: कोरोना वायरस के संक्रमण में मां की कोख ही कवच, प्रयागराज में सैकड़ों संक्रमित मां ने असंक्रमित शिशुओं को दिए जन्म

Mothers Day 2021चिल्ड्रेन अस्पताल की असिस्‍टेंट प्रोफेसर डा. मनीषा मौर्या ने बताया कि यह आश्चर्यजनक ही है कि प्रसव के एक दिन बाद के बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं लेकिन उनमें संक्रमण का असर ज्यादा नहीं पाया गया। यानी कि बच्चे अलक्षणीय ही मिले।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 07:00 AM (IST)
Mother's Day 2021: कोरोना वायरस के संक्रमण में मां की कोख ही कवच, प्रयागराज में सैकड़ों संक्रमित मां ने असंक्रमित शिशुओं को दिए जन्म
प्रयागराज में लगभग सवा दो सौ संक्रमित महिलाओं ने कोविड अस्पताल में असंक्रमित शिशुओं को जन्म दिया है।

प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। एक दूसरे के संपर्क में आने से कोरोना बढ़ रहा है। दूसरी लहर में तो फेफड़े पर हमला कर रहा है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के कोरोना संक्रमित हो जाने पर घर के लोग मां और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की फिक्र में घबरा जा रहे हैैं, लेकिन सुखद यह है कि मां की कोख ही शिशु के लिए कवच बन रही है। ऐसी सवा दो सौ संक्रमित महिलाओं ने कोविड अस्पताल में असंक्रमित शिशुओं को जन्म दिया है। एक-दो मामलों में नवजात कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन उनमें संक्रमण का असर ज्यादा नहीं पाया गया। यानी कि बच्चे अलक्षणीय ही मिले।  

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गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने के लिए स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में कोरोना कालखंड में भी व्यवस्था है। वैसे तो इसमेें नानकोविड गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है, लेकिन अनेक महिलाएं प्रसव के आखिरी क्षण में कोरोना संक्रमित भी हो रही हैं। ऐसी संक्रमित महिलाओं के लिए सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में बनाए गए लेवल थ्री कोविड सेंटर में लेबर रूम व आपरेशन थियेटर की अलग से व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था कोविड-19 की शुरुआत होने पर अप्रैल 2020 में ही कर दी गई थी। इसमें अब तक करीब सवा दो सौ कोरोना संक्रमित महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है। खास यह भी है कि दूसरी लहर में घातक हो चुके कोरोना के दौर में भी बीते एक माह के दौरान 50 प्रसव कराए गए, लेकिन नवजात में कोरोना संक्रमण का कोई असर नहीं पाया गया। 

प्लेसेंटा है मजबूत दीवार

 मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में गाइनी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमिता यादव ने बताया कि मेडिकल ग्राउंड पर देखें तो गर्भ में एक विशेष किस्म का आवरण होता है जिसे प्लेसेंटा (खेड़ी) कहते हैं। भ्रूण तक किसी भी संक्रमण को यही प्लेसेंटा रोकता है। कह सकते हैं कि बच्चों पर संक्रमण रोकने की यही मजबूत दीवार है। इक्का-दुक्का मामले ऐसे रहे, जिसमें संभावना थी कि नवजात को कोरोना का संक्रमण है, लेकिन जांच रिपोर्ट में यह केवल कयास निकला।

अजन्मे बच्चे में नहीं पाया गया संक्रमण

चिल्ड्रेन अस्पताल की असिस्‍टेंट प्रोफेसर डा. मनीषा मौर्या ने बताया कि यह आश्चर्यजनक ही है कि प्रसव के एक दिन बाद के बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं लेकिन उनमें संक्रमण का असर ज्यादा नहीं पाया गया। यानी कि बच्चे अलक्षणीय ही मिले। ऐसे बच्चे जल्दी स्वस्थ हो गए। हालांकि गर्भ में रहने के दौरान मां और बच्चे का ब्लड एक ही होता है, फिर भी अजन्मे बच्चे पर कोरोना का असर नहीं देखा गया है।


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