प्रयागराज के 800 से ज्यादा किसानों ने छोड़ दी कुंभ मेले के लिए जमीन
कुंभ के भव्य आयोजन के लिए प्रयागराज के किसानों ने भी दरियादिली दिखाई है। आठ सौ किसानों ने दस हजार हेक्टेयर जमीन को कुंभ के लिए छोड़ दी है।
प्रयागराज (जेएनएन)। कुंभ के दिव्य और भव्य आयोजन के लिए प्रयागराज के किसानों ने भी दरियादिली दिखाई है। लगभग आठ सौ किसानों ने नैनी और झूंसी क्षेत्र में गंगा व यमुना किनारे लगभग दस हजार हेक्टेयर जमीन को कुंभ के आयोजन के लिए छोड़ दी, जिसे प्रयागराज मेला प्राधिकरण विकसित कर रहा है। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि किसानों की ये पहल प्रशासन के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। इन स्थानों को विकसित कर मेला के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है।
फूलों की खेती
नैनी के अरैल, खरकौनी, गंजिया, देवरख, सोढि़भीट, मवैया, महेवा में गंगा व यमुना किनारे बड़े पैमाने पर गेंदा, गुलाब आदि फूलों की खेती की जाती है। वहीं, पुराने यमुना पुल के नैनी छोर पर फूलों की बड़ी मंडी लगती है। जहां से प्रदेश के कई जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ तक फूलों की आपूर्ति की जाती है। इसी तरह झूंसी के छतनाग, कोहना, हवेलिया, चक महीन, नीबी भतकार, बदरा सोनौटी, हेतापट्टी, मनसैता आदि इलाके में भी किसान फूल की फसल उगाते हैं। जो कि उनके लिए आय का बड़ा साधन भी है।
जमीन प्रशासन के लिए उपयोगी
अरैल के नेब्बूलाल निषाद, गंजिया के कप्तान सिंह का कहना है कि कुंभ में दुनिया भर के लोग प्रयागराज आ रहे हैं। ऐसे में मेला क्षेत्र की सीमा के पास में स्थित उनकी जमीन भी प्रशासन के लिए उपयोगी साबित हो सकती है, इसीलिए उन लोगों ने स्वयं ही मेला के लिए भूमि प्रशासन को दे दी। कोहना के रविनंदन और बदरा के देवतादीन कहते हैं कि मेला क्षेत्र के पास स्थित उनकी भूमि कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के आवागमन में उपयोगी हो सकती है, जिसके चलते उन्होंने अन्य किसानों के साथ ही मेला आयोजन के लिए इसे प्रशासन को सौंप दिया है।
फूलों के दाम चढऩे की आशंका
कुंभ के दौरान फूलों की काफी खपत होती है। ऐसे में स्थानीय के साथ ही बाहर से भी फूल मंगाया जाता है। इसमें नजदीकी जिलों वाराणसी, मीरजापुर आदि का योगदान ज्यादा होता है। अब प्रयागराज में फूलों की खेती कम हो जाएगी तो फूलों के दाम चढऩे की आशंका रहेगी।