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Prayagraj में पंचायतों के आरक्षण के खिलाफ हजार से अधिक आपत्तियां, सोमवार को देर रात तक एकत्र करते रहे आकड़े

पंचायतों के आरक्षण के खिलाफ एक हजार से अधिक आपत्तियां आ चुकी हैं। सोमवार को आपत्ति का आखिरी दिन था। शाम पांच बजे तक डीपीआरओ कार्यालय और ब्लाकों में आपत्तियां ली गई। उसके बाद देर रात तक इनको कंपाइल किया गया है। नौ मार्च से निस्तारण की प्रक्रिया शुरू होगी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 11:38 AM (IST)
Prayagraj में  पंचायतों के आरक्षण के खिलाफ हजार से अधिक आपत्तियां, सोमवार को देर रात तक एकत्र करते रहे आकड़े
तीन मार्च को जिला पंचायत राज अधिकारी रेनू श्रीवास्तव ने आरक्षण सूची जारी की थी

प्रयागराज, जेएनएन। पंचायतों के आरक्षण के खिलाफ एक हजार से अधिक आपत्तियां आ चुकी हैं। सोमवार को आपत्ति का आखिरी दिन था। शाम पांच बजे तक डीपीआरओ कार्यालय और ब्लाकों में आपत्तियां ली गई। उसके बाद देर रात तक इनको कंपाइल किया गया है। इन आपत्तियों पर नौ मार्च से निस्तारण की प्रक्रिया शुरू होगी। फिर 14 मार्च को इसकी अंतिम सूची जारी करनी होगी। 

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डीपीआरओ कार्यालय और ब्लाकों में आई थी आपत्तियां

तीन मार्च को जिला पंचायत राज अधिकारी रेनू श्रीवास्तव ने आरक्षण जारी किया। डीपीआरओ कार्यालय में सोमवार को प्रधान पद पर 329, जिला पंचायत सदस्य पर 10 और बीडीसी पद पर 20 आपत्तियां आई। इससे पहले जिले में प्रधान पद पर 476, जिला पंचायत सदस्य पर 32 और बीडीसी पर 29 शिकायतें आ चुकी थीं। इसके अलावा ब्लाकों में सैकड़ों की संख्या में आपत्तियां आई हैं। इन आपत्तियों को सोमवार की देर रात तक कंपाइल किया गया। आसार है कि हजार से अधिक आपत्तियां लोगों ने दर्ज कराई है। डीपीआरओ ने बताया कि आपत्तियों को एकत्र करने का क्रम मंगलवार को भी चलेगा। इनके निस्तारण का काम 10 से 12 मार्च तक किया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। फिर से 13 से 14 मार्च को आरक्षण की अंतिम सूची जारी की जाएगी। 15 मार्च तक अंतिम सूची को पंचायती राज निदेशालय को भेजा जाना है। 

पौसिया दुबे गांव के आरक्षण में गड़बड़ी

पंचायतों के आरक्षण के दौरान गलतियां भी हुई है। आरक्षण कर रहे अधिकारियों ने मेजा तहसील के गांव पौसिया दुबे में 2005 का आरक्षण ही बदल दिया। 2005 में यह सीट अनुसूचित जाति महिला के आरक्षित थी। लेकिन 2021 का आरक्षण करते हुए लिस्ट में 2005 का आरक्षण ओबीसी महिला दिखाया गया है। इसलिए इस बार का आरक्षण ही गड़बड़ा गया है। इसे अफसरों की मानवीय चूक कहें या लापरवाही लेकिन इस एक गलती से गांव का आरक्षण गड़बड़ा गया और इससे ग्रामीण आक्रोशित हैं। इस गड़बड़ी को पौसिया दुबे की राजपति ने पकड़ा। उन्होंने यह शिकायत पांच मार्च को की। रविवार को वह मेजा विधायक और अपने समर्थकों के साथ डीपीआरओ कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई। यह तो राजपति ने गड़बड़ी पकड़ ली तो मामला सुर्खियों में आ गया। ऐेसे ही कई और गांवों में गड़बड़ी होने की आशंका है। इस मामले को देखते हुए मेजा के और गांवों से शिकायत आने लगी है। ग्रामीणों ने बताया कि मेजा ब्लाक की कई सीटों पर 2005 का आरक्षण गड़बड़ है। इसे पूरा चेक करने की जरूरत है।


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