NER के पूर्व सीपीआरओ के खिलाफ मनी लांड्रिंग का लिखा गया केस, विज्ञापन दिलाने के नाम पर भ्रष्टाचार का मामला
वर्ष 2017 में आलोक सिंह गोरखपुर स्थित एनईआर कार्यालय में बतौर सीपीआरओ के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने लखनऊ के इंदिरा नगर निवासी और अन्नू इमेज एडवरटाइजिंग कंपनी के प्रमोटर से शिवशंकर तिवारी से रेलवे से संबंधित विज्ञापन दिलवाने के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे नार्थ ईस्टर्न रेलवे (एनईआर) के पूर्व मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) आलोक सिंह के खिलाफ अब मनी लांड्रिंग का केस दर्ज हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आलोक सिंह और अन्नू इमेज मेकर्स एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर शिवशंकर तिवारी के खिलाफ इर्फोसमेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीईआर) दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है। आलोक सिंह पर रेलवे का विज्ञापन दिलाने और प्रचार-प्रसार करने के नाम पर भ्रष्टाचार करने का आरोप है। अब ईडी की टीम इनकी अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति का पता लगाकर उसे अटैच करने की कार्रवाई करेगी।
सीबीआइ लखनऊ की टीम ने पहले दर्ज की रिपोर्ट
वर्ष 2017 में आलोक सिंह गोरखपुर स्थित एनईआर कार्यालय में बतौर सीपीआरओ के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने लखनऊ के इंदिरा नगर निवासी और अन्नू इमेज एडवरटाइजिंग कंपनी के प्रमोटर से शिवशंकर तिवारी से रेलवे से संबंधित विज्ञापन दिलवाने के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी। इसके बाद छह लाख रुपये लिए थे। फिर आलोक सिंह ने शिवशंकर से मोहनलाल गंज लखनऊ में साईं वैली रेजीडेंसियल स्कीम में 25 सौ स्क्वायर फीट के दो प्लाट मां लालमती सिंह के नाम पर दिलाने की बात कही। तब शिवशंकर ने कॉलोनी विकसित करने वाले से लालमती के नाम प्लाट देने की बात कहते हुए बेटी रिंकी तिवारी के खाते से चेक के जरिए पैसा ट्रांसफर किया। मगर, प्रमोटर ने 20 लाख की मांग पूरी नहीं की। ऐसे में आलोक सिंह ने बकाया बिल रोक दिया। इसके बाद सीपीआरओ के दफ्तर में संदिग्ध दशा में आग लग गई, जिससे बिल जल गया। तब आलोक ने बिल का भुगतान रोक दिया। इस मामले की शिकायत लखनऊ सीबीआइ की एंटी करप्सन ब्यूरो को दी गई। छानबीन के बाद सीबीआइ ने तीन फरवरी 2017 को मुकदमा कायम किया था। अब उसी एफआइआर को आधार बनाते हुए ईडी ने ईसीईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है।