मोबाइल फोन ला रहा दूरियां, मां-बेटे के रिश्तों में भी पैदा करने लगा है खटास
सुलेम सराय से आये एक दंपति ने टीम को बताया कि उनका बेटा बात नहीं करता है। कुछ भी बोलने पर आक्रोशित हो जाता है। उसकी हरकतों से तंग आकर अब मां ने भी बेटे से बोलना छोड़ दिया है। इससे पूरे घर का माहौल ही मायूसी भरा हो गया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोविड-19 के चलते दो साल से मोबाइल फोन के बढ़े इस्तेमाल ने बड़ी अजीब स्थिति उत्पन्न कर दी है। पहले तो बच्चे ही मोबाइल फोन के उपयोग से रोक-टोक पर चिड़चिड़े हो रहे थे लेकिन अब इससे मां बेटों के रिश्ते में खटास भी आने लगी है। डॉक्टरों के सामने ऐसे कई केस आ चुके हैं। काउंसिलिंग के माध्यम से रिश्तो में फिर से मिठास खोलने की कोशिशें जारी हैं।
एक-दूसरे से बात करना छोड़ा मां और बेटा-बेटी ने
काल्विन अस्पताल में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के पास बीते दो महीने में ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं। सुलेम सराय से आये एक दंपति ने टीम को बताया कि उनका बेटा बात नहीं करता है। कुछ भी बोलने पर आक्रोशित हो जाता है। उसकी हरकतों से तंग आकर अब मां ने भी बेटे से बोलना छोड़ दिया है। इससे पूरे घर का माहौल ही मायूसी भर हो गया है। कुछ ऐसा ही एक केस झूंसी से आया है। इसमें भी मां और बेटी में बोलचाल करीब एक महीने से बंद होने का मामला है। इन दोनों केस में वजह सिर्फ इतनी है कि बच्चों को मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से रोका टोका जाता था।
मोबाइल से दूरी बनाएं वरना आपसी दूरी बढ़ती जाएगी
जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम के सदस्य डा. राकेश पासवान उनका कहना है कि परिवारों के बीच रिश्तों में खटास मोबाइल फोन की वजह से आ रही है क्योंकि फोन का अधिक इस्तेमाल एक दो नहीं बल्कि अधिकांश लोग कर रहे हैं। आपस में संवाद हीनता रिश्तों में खटास आने का प्रमुख कारण बनती है। कहा कि इसका समाधान केवल काउंसलिंग है और उसी विधि को अपनाकर परिवारों में फिर से खुशहाली का माहौल लाने की कोशिश की जा रही है।
ऑनलाइन पढ़ाई है मजबूरी
मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से मजबूरी भी है क्योंकि बच्चों को इसके लिए 2 से 3 घंटे तक मोबाइल चाहिए और शिक्षा की दृष्टि से उन्हें जरूरी भी है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा बच्चों को भी चाहिये कि इसका कम से कम मोबाइल फोन इस्तेमाल करें।