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Allahabad Central University से शिक्षा मंत्रालय ने मांगा तीन वर्षों के खर्च का हिसाब, भेजा है पत्र

पिछले तीन वर्ष में रिकरिंग ग्रांट से रुपये मिले थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस रकम को खर्च ही नहीं किया और वापस कर दिया। हालांकि यह स्पष्‍ट नहीं किया क्‍यों खर्च नहीं किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 09:25 AM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 04:28 PM (IST)
Allahabad Central University से शिक्षा मंत्रालय ने मांगा तीन वर्षों के खर्च का हिसाब, भेजा है पत्र
Allahabad Central University से शिक्षा मंत्रालय ने मांगा तीन वर्षों के खर्च का हिसाब, भेजा है पत्र

प्रयागराज, जेएनएन। शिक्षा मंत्रालय ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) से पिछले तीन वर्ष में मिले 343 करोड़ 51 लाख 68 हजार रुपये का ब्यौरा तलब किया है। इसके अलावा इविवि के तमाम प्रोजेक्ट और निर्माणाधीन भवनों के बारे में भी जानकारी मांगी है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि इन सब की एक फाइल तैयार रखें और कोई नया काम स्थायी कुलपति की नियुक्ति के बाद ही शुरू किया जाए। 

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रुपये तो वापस कर दिए लेकिन इसका कारण इविवि ने नहीं बताया

दरअसल, कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी को भेजे गए पत्र में मंत्रालय ने कहा कि पिछले तीन वर्ष में रिकरिंग ग्रांट से वर्ष 2017-18 में 7186.99 लाख, 2018-19 में 9533.76 लाख, 2019-20 में 14108.18 लाख रुपये मिले थे। इविवि ने इस रकम को खर्च ही नहीं किया और वापस कर दिया। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि इस रकम को क्यों खर्च नहीं किया गया। 

शिक्षा मंत्रालय ने उपभोग प्रमाण पत्र तलब किया है

ऐसे में मंत्रालय ने इसे बड़ी लापरवाही मानते हुए जवाब मांगा है। इसके अलावा इविवि को अन्य प्रोजेक्ट के लिए 2017-18 में 2022.95 लाख, 2018-19 में 700 और 2019-20 में 800 लाख ग्रांट भी प्राप्त हुआ। यह रकम खर्च तो की गई पर यह नहीं बताया गया कि खर्च कहां हुआ है। ऐसे में मंत्रालय ने उपभोग प्रमाण पत्र तलब किया है। इस तरह इविवि को तीन वर्ष की अवधि में कुल 343 करोड़ 51 लाख 68 हजार रुपये मिले। हालांकि, अब तक मंत्रालय को इसका विवरण नहीं उपलब्ध कराया जा सका। ऐसे में इसका पूरा विवरण तलब किया गया है। 

बोले, इविवि के जनसंपर्क अधिकारी

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. शैलेंद्र मिश्र कहते हैं कि मंत्रालय की तरफ से रूटीन पत्र आया था। इसका जवाब भेज दिया गया है। मंत्रालय का जो भी निर्देश होगा इविवि उसका पालन करेगा।


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