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कोरोना महामारी में प्रवासी हो रहे परेशान, सूरत से सिद्धार्थनगर को चले पर निजी बस ने उतार दिया रीवा में

निजी बस संचालक यात्रियों से किराया वसूल रहे हैं। लेकिन उन्हें गंतव्य तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। रास्ते में ही किसी जिले में उतार दिया जाता है। गुरुवार को एक और परिवार सिविल लाइंस बस अड्डे पहुंचा और सिद्धार्थनगर जाने के लिए रोडवेज बस का इंतजार कर रहा था।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 07:00 AM (IST)
कोरोना महामारी में प्रवासी हो रहे परेशान, सूरत से सिद्धार्थनगर को चले पर निजी बस ने उतार दिया रीवा में
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होने के साथ रोजी-रोटी के लिए महानगरों में रह रहे लोग लौट रहे हैं।

प्रयागराज, अतुल यादव। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज होने के साथ रोजी-रोटी के लिए महानगरों में रह रहे लोग लौट रहे हैं। राज्य सरकारों की पाबंदियां बढ़ाने के साथ ही कामकाज भी ठप हो गए हैं। ऐसे में गुजरात, मुंबई और दिल्ली से बड़ी संख्या में प्रवासी घर की ओर चल दिए हैं। ट्रेन में सीटें फुल होने के चलते लोग निजी साधन व बसों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन हद तो तब हो रही है जब निजी बस चालक रास्ते में ही उतार दे रहे हैं। सूरत से सिद्धार्थनगर के लिए चली बस यात्रियों को रीवा में ही उतारकर फरार हो गई।

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ट्रेन में सीट न होने से निजी बस से कर रहे सफर, किराया भी महंगा

निजी बस संचालक यात्रियों से किराया वसूल रहे हैं। लेकिन, उन्हें गंतव्य तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। रास्ते में ही किसी जिले में उतार दिया जाता है।  गुरुवार को एक और परिवार सिविल लाइंस बस अड्डे पहुंचा और सिद्धार्थनगर जाने के लिए रोडवेज बस का इंतजार कर रहा था। सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज निवासी अजय ने बताया कि वह दो भाइयों प्रदीप, राजेश व पत्नी रीता के साथ सूरत में रहता है और वहीं, मकान में रंगाई-पुताई का ठेका लेता है। संक्रमण का प्रकोप बढऩे से काम बंद हो गया। ऐसे में वह परिवार के साथ घर जा रहा है। उसने बताया कि सूरत में निजी बस संचालक ने बस्ती तक ले जाने का 22 सौ रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से चार लोगों का किराया 8800 रुपये लिया। लेकिन, रीवा में उतार दिया। वहां दूसरी बस से प्रयागराज तक छोड़ा। 

नागपुर से ओवरलोड बस में सफर, सांसत में जान

नागपुर से निजी बस का सफर महंगा पड़ रहा है। ये बसें ओवरलोड होकर चलाई जा रही हैं। ऐसे में कोविड प्रोटोकाल तो दूर यात्रियों की जान सांसत में रहती है। लेकिन, इन पर शिकंजा कसने वाला कोई नहीं है।

संक्रमण बढऩे के बाद लोग लाकडाउन में फंसने के डर से पलायन कर रहे हैं। ऐसे में निजी बस संचालक चांदी काट रहे है। क्षमता से अधिक सवारी बैठा रहे हैं। इन्हें न संक्रमण का डर है और न ही प्रशासन का। अनजान शहर में प्रवासी यात्री कही शिकायत भी नहीं करना चाहते हैं। बस किसी तरह घर पहुंचने के लिए परेशान होते हैं। कामकाज ठंडा पड़ा तो उपेंद्र राम अपने परिवार के साथ गृह जनपद गाजीपुर के लिए चल दिए। ट्रैक्टर कंपनी में काम करने वाले उपेंद्र राम ने परिवार के पांच सदस्यों का टिकट 17 सौ रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से खरीदा और 85 सौ रुपये का भुगतान किया। लालू कुमार, रोशनी, बादल व सूरज सफर पर निकले। लालू कुमार ने बताया कि एक सीट पर दो लोगों को बैठाया गया। इसके अलावा रास्ते में कई जगह रोकते हुए बस आई है। अब यहां से रोडवेज बस से गाजीपुर तक जाएंगे।


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