Fraud in Electricity Bill : एमडी ने एसई से तलब की घोटाले की जांच रिपोर्ट Prayagraj News
Fraud in Electricity Bill पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने मंगलवार को गंगापार के अधीक्षण अभियंता आनंद कुमार पांडेय को अपने कार्यालय में बुलाया था।
प्रयागराज,जेएनएन। बिजली बिल घोटाले को लेकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के. बालाजी ने गंगापार के अधीक्षण अभियंता से पूरे मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट तलब की। इसके बाद एमडी ने अपने कार्यालय में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में उच्च स्तरीय जांच कमेटी को घपले के दस्तावेज भी सौंपने के निर्देश दिए।
प्रबंध निदेशक अधीक्षण अभियंता गंगापार को कार्यालय में बुलाया
विद्युत विभाग के बिजली बिल में करोड़ों रुपये के घपले का मामला सामने आने पर अफसर भी सकते में हैैं। वाराणसी से लेकर लखनऊ तक के उच्चाधिकारी इस मामले का जल्द से जल्द पटापेक्ष चाहते हैैं। इसीलिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने मंगलवार को गंगापार के अधीक्षण अभियंता आनंद कुमार पांडेय को अपने कार्यालय में बुलाया था। इंजीनियर आनंद पांडेय ने पूरे मामले से एमडी को अवगत कराया। खुद पर हुए हमले के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि बिलों में किस तरह से खेल हुआ और विभाग के कर्मचारियों की क्या मिलीभगत रही। दरअसल, इस मामले की प्राथमिक जांच आनंद पांडेय ने की था। उधर, इस मामले में गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी मंगलवार को प्रयागराज नहीं आ सकी। कमेटी में शामिल अधिकारी भी वाराणसी की बैठक में चले गए थे। हंडिया में 88 लाख रुपये के बिल के खेल की जांच मीरजापुर के अधीक्षण अभियंता वीके पांडेय को दी गई है जबकि फूलपुर में लगभग दो करोड़ की अनियमितता की जांच भदोही के अधीक्षण अभियंता निसार अहमद करेंगे। अन्य खंडों और उपखंडों में हुई धांधली की दोनों एसई की संयुक्त टीम जांच करेगी।
विभाग ने दिए एसई को गनर
अधीक्षण अभियंता आनंद पांडेय पर उनके कार्यालय में हुए हमले के बाद मंगलवार को विद्युत विभाग की ओर से प्राइवेट गनर दिया गया है। दरअसल, उन्हें अब तक सरकारी गनर नहीं मिल सका है जबकि हमले के पहले ही उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी।
निलंबित कर्मी ने बिलिंग एजेंसी पर उठाए सवाल
इस मामले में निलंबित कर्मचारी आशीष श्रीवास्तव ने बिलिंग एजेंसी (निजी कंपनी) पर सवाल उठाए हैैं। आशीष का कहना है कि निजी कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए साफ्टवेयर पर आधारित बिलिंग सिस्टम में नीचे के कर्मचारी को आइडी निर्गत की जाती है। कर्मचारी के निजी मोबाइल का इस्तेमाल कराते हुए, ऐसे आइडी के माध्यम से विभागीय राजस्व जमा कराया जाता था जबकि एसडीओ स्तर पर विभागीय सिम उपलब्ध कराया गया है लेकिन राजस्व संग्रह के लिए आइडी निचले कर्मचारी के निजी मोबाइल नंबर के माध्यम से जारी कराया जा रहा था। आषीष ने आरोप लगाया कि मामले में बिलिंग एजेंसी के आपरेटर से लेकर विभाग के अफसरों तक साठगांठ है।