एमबीबीएस छात्रों ने कॉलेज बुलाने के यूपी सरकार के निर्णय को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट में एमबीबीएस फाइनल वर्ष और प्रथम वर्ष के छात्रों ने कॉलेजों में उपस्थित होकर पढ़ाई करने के यूपी सरकार के 20 जून 2020 के आदेश को चुनौती दी है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में एमबीबीएस फाइनल वर्ष और प्रथम वर्ष के छात्रों ने कॉलेजों में उपस्थित होकर पढ़ाई करने के यूपी सरकार के 20 जून, 2020 के आदेश को चुनौती दी है। याचिका में कहा कि छात्रों को पढ़ाई के लिए कॉलेज बुलाना केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की अधिसूचना व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट- 2005 के प्रावधानों के प्रतिकूल है। निष्ठा मिश्रा व अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति एमके गुप्ता व न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने उक्त मामले में सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने एमबीबीएस छात्रों को कॉलेजों में उपस्थित होकर पढ़ाई करने के मामले में यूपी सरकार व मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से पूछा है कि वे बताएं कि सरकार के इस प्रकार के निर्णय के पीछे क्या तर्कसंगत वजह हो सकती है। याचिका पर सुनवाई 10 जुलाई को होगी। याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा लखनऊ ने 20 जून को जारी आदेश से एमबीबीएस फाइनल वर्ष का क्लास 29 जून 2020 से तथा प्रथम वर्ष का प्रैक्टिकल क्लास के लिए 13 जुलाई 2020 से छात्रों को कालेज में आकर पढ़ने का निर्णय निर्णय लिया है।
याचियों की तरफ से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व विभु राय का तर्क था कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 29 जून 2020 को अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की धारा 6 (2)(1) के तहत जारी की गयी है। इसके तहत देश के स्कूल-कालेजों को 31 जुलाई 2020 तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। सबकी ऑनलाइन पढ़ाई कराने को कहा गया है।
वहीं, प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि एमबीबीएस फाइनल के छात्रों से चिकित्सीय ड्यूटी नहीं ली जाएगी, परंतु फाइनल वर्ष की परीक्षा शीघ्र होनी है। इसके मद्देनजर प्रैक्टिकल क्लास पूरा करना होगा, जो ऑनलाइन संभव नहीं है। उनका कहना था कि फाइनल वर्ष के छात्रों से भविष्य में कोविड-19 की ड्यूटी ली जा सकेगी।