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मुश्किल में BSP प्रमुख मायावती, हाईकोर्ट ने तलब की स्मारक घोटाला विजिलेंस जांच की स्टेटस रिपोर्ट

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया अब एक बार फिर मुश्किल में फंस सकती हैं। मायावती राज में बने स्मारकों के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज जनहित याचिका दाखिल की गई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:53 PM (IST)
मुश्किल में BSP प्रमुख मायावती, हाईकोर्ट ने तलब की स्मारक घोटाला विजिलेंस जांच की स्टेटस रिपोर्ट
मुश्किल में BSP प्रमुख मायावती, हाईकोर्ट ने तलब की स्मारक घोटाला विजिलेंस जांच की स्टेटस रिपोर्ट

इलाहाबाद (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लखनऊ सहित नोएडा में बने स्मारक में घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर कोर्ट ने सरकार से इस मामले में दर्ज केस की प्रगति रिपोर्ट एक हफ्ते में मांगी है।हाईकोर्ट ने कहा कि घोटाले का कोई दोषी बचना नहीं चाहिए। 

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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया अब एक बार फिर मुश्किल में फंस सकती हैं। मायावती राज में बने स्मारकों के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज जनहित याचिका दाखिल की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में दर्ज प्राथमिकी की जांच की एक हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने मिर्जापुर के शशिकान्त उर्फ भावेश पांडेय की जनहित याचिका पर निर्देश दिया है। इस याचिका में अम्बेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांसीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, ईको पार्क, नोएडा अम्बेडकर पार्क, रामबाई अम्बेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये के घोटाले का आरोप है। लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है। इसमें सीबीआई या अन्य जांच एजेंसी से जांच कराने की संस्तुति है।

उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मायावती सरकार ने लखनऊ के साथ नोएडा में भी दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इसमें से लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च भी हुए। लोकायुक्त ने अपनी जांच में अनुमान लगाया था कि इसमें से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई। 

आरोप है स्मारकों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई , जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। लोकायुक्त ने जांच में जिक्र किया कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह  भी है कि भुगतान तय रकम से दस गुने दाम पर ही किया जाता रहा।

अखिलेश यादव सरकार ने जनवरी 2017 में गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इस घोटाले की जांच सतर्कता विभाग कर रहा है। स्मारक घोटाले में आरोप है कि राजस्थान से पत्थर लदे 15 ट्रक रवाना होने के बाद मौके पर सात ट्रक ही पहुंचे। इस तरह आठ ट्रक पत्थर हड़पे गए। इसको लेकर लोकायुक्त ने राजकीय निर्माण विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। इसमें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के साथ नसीमुद्दीन तथा कई विधायकों पर घोटाले का आरोप है।

मामला 2007 से 2012 के बीच बसपा सरकार के दौरान नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों के निर्माण में घोटाले के आरोप का है। लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था।इसमें बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व मंत्री नसीरुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मंत्री बाबू राम कुशवाहा व 12 तत्कालीन विधायक इस मामले में आरोपी हैं। यही नहीं इस मामले में 100 से ज्यादा इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं। केस में 2014 में सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। निर्माण निगम, पीडब्ल्यूडी, नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के इंजीनियर और अधिकारी आरोपी हैं।


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