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प्रतापगढ़ की कई नदियों और पोखरों का होगा पुनरुद्धार, मनरेगा के आयुक्‍त ने मांगी है सूची

नदियों व पोखरों की मनरेगा मजदूर साफ-सफाई करेंगे। डीसी मनरेगा ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले की ऐसी नदियां व पोखरे जो अस्तित्व में नहीं है उसका मनरेगा से पुनरोद्धार कराया जाएगा। मनरेगा मजदूरों को लगाकर इसकी सफाई कराई जाएगी। इससे इनका अस्तित्‍व लौटेगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 03:32 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 03:32 PM (IST)
प्रतापगढ़ की कई नदियों और पोखरों का होगा पुनरुद्धार, मनरेगा के आयुक्‍त ने मांगी है सूची
मनरेगा के मजदूर नदी व पोखरों में उगे झाड़-झंखाड़ हटाएंगे, जिससे वे फिर अस्तित्व में आएंगे।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जिले में सकरनी, लोनी नदियां आदि अपना अस्तित्व खो चुकी हैं। जिम्मेदारों की उपेक्षा के चलते नदियों की साफ-सफाई न होने से बड़े-बड़े झंखाड़ उग आए हैं। ऐसी नदियों व पोखरों का पुनरोद्धार होगा। अपर आयुक्त मनरेगा ने ऐसी नदियों व पोखरों की सूची मांगी है। इन सभी का मनरेगा से पुनरोद्धार कराया जाएगा। नदियों की सिल्ट की सफाई होगी। सर्वे का काम जोरों से चल रहा है।

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लोनी, सकररनी आदि नदियां खो चुकी हैं अस्तित्‍व

जिले में सई, बकुलाही, सकरनी, लोनी, चमरौरा सहित कुछ और नदियां हैं। इसके अलावा कई पोखरे भी हैं। डिजिटल दौर में भी लोनी, सकरनी सहित कुछ और नदियां अपना अस्तित्व खो चुकी हैं। जहां पहले लोग नदी में स्नान करते थे। नदी का पानी लाकर पीते थे। कपड़ा धुलते थे। पशुओं को स्नान कराते थे, वहीं अब यह सारी पुरानी बातें हो गईं है। लोनी, सकरनी आदि का हाल यह है कि पानी कुछ ही जगहों पर देखने को मिलता है। उसमें जंगली पेड़ उग आए हैं। नदी के बंधे से लेकर बहाव वाले रास्ते तक बड़े-बड़े झंखाड़ उग आए हैं। साफ-सफाई न होने से देखने से यह लगता है कि यहां नदी थी ही नहीं।

मनरेगा के डीसी ने यह कहा

ऐसी नदियों व पोखरों का पुनरोद्धार कराने का निर्णय लिया है। मनरेगा से इसका पुनरोद्धार होगा। नदियों व पोखरों की मनरेगा मजदूर साफ-सफाई करेंगे। डीसी मनरेगा डा. एनएन मिश्रा ने बताया कि जिले की ऐसी नदियां व पोखरे जो अस्तित्व में नहीं है। उसका मनरेगा से पुनरोद्धार कराया जाएगा। मनरेगा मजदूरों को लगाकर इसकी सफाई कराई जाएगी।

मजदूरों को मिलेगा रोजगार

शासन के इस निर्णय से दोहरा फायदा मिलेगा। एक ओर जहां नदियां व पोखरे की सफाई हो जाएगी। वह अस्तित्व में जा आएंगी, वहीं दूसरी ओर मनरेगा मजदूरों को काम मिल सकेगा। रोजगार के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

204 रुपये के हिसाब से मिलेगी मजदूरी

जिन-जिन गांवों से होकर नदी व पोखरे गुजरे हैं। जिनमें झंखाड़ उग आए हैं। संबंधित गांव के प्रधान, सचिव को इसकी सफाई कराने की जिम्मेदारी दी गई है। जितने दिन मनरेगा मजदूर काम करेंगे, उनको 204 रुपये के हिसाब से मजदूरी मिलेगी।

भेजा जाएगा फोटो व वीडियो

नदियों व पोखरे के पुनरोद्धार की फोटो व वीडियो शासन में भेजा जाएगा। इसका मस्टर रोल भी अफसर ऑनलाइन देख सकेंगे। कितने मजदूर काम कर रहे हैं, इसका भी जिक्र होगा। अफसर सब कुछ लखनऊ में बैठ देख सकेंगे।


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