बिना 'दक्षिणा' के कई डॉक्टर नहीं करते ऑपरेशन
सरकारी अस्पतालों के कई डाक्टर बिना रुपये लिए मरीजों का आपरेशन नहीं करते। जबकि यहां निश्शुल्क इलाज किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री ने एक चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की तो खलबली मच गई।
जासं, इलाहाबाद : जिस सरकारी अस्पतालों में मरीजों का फ्री इलाज किया जाना चाहिए उसी अस्पताल के कुछ डॉक्टर बिना रुपये लिए ऑपरेशन नहीं करते हैं। आपरेशन के पहले डॉक्टर को 'दक्षिणा' देना अनिवार्य है। यह स्थिति सिर्फ तेजबहादुर सपू्र (बेली)अस्पताल नहीं बल्कि अन्य सरकारी अस्पतालों में भी है।
रविवार को स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक शिकायत पर बेली अस्पताल के सर्जन डॉ. अजय द्विवेदी पर जिस तरह से कार्रवाई की है उससे डॉक्टरों में खलबली मच गई। इसके अलावा भदोही के दो लिपिकों के मामले में उन्होंने लिपिकों सहित सीएमओ को तलब कर स्पष्ट कर दिया की मरीजों की सेवा ही पहला धर्म हो, वर्ना किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। मंत्री की यह कार्रवाई ऐसे डॉक्टरों के लिए भी एक संदेश है जो बिना रुपये लिए मरीजों का ऑपरेशन नहीं करते हैं। यदि ऐसे डॉक्टर अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं लाते हैं तो उन पर भी गाज गिरना तय है। स्वास्थ्य मंत्री ने सरकारी डॉक्टरों को यह संदेश दिया है कि धनउगाही करने वाले डॉक्टर किसी भी स्थिति में बचेंगे नहीं।
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मरीजों से रुपये लेने का यह भी तरीका
बेली अस्पताल के साथ ही स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भी ऑपरेशन के नाम पर मोटी रकम मरीजों से वसूली जाती है। मरीजों या परिजनों से ऑपरेशन के पहले रुपये लेने के लिए मेडिकल स्टोर संचालकों का सहारा लेते हैं। डॉक्टर आपरेशन के एक दिन पहले आठ से दस हजार रुपये का सामान लेने के लिए पर्चा बनाते हैं। मरीज से यह कहा जाता है कि वह मेडिकल स्टोर पर रुपये जमा कर दें बस। सामान हमारे पास पहुंच जाएगा। बाद में मेडिकल स्टोर संचालक दवा तो नहीं लेकिन रुपये जरुर डॉक्टर साहब तक पहुंचा देते हैं।