माघ मेला में प्रमुख धर्माचार्यों की उपेक्षा, गंगा पूजन में प्रशासन ने नहीं किया आमंत्रित
सनातन धर्म में सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य होते हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती मेला क्षेत्र में प्रवास करके धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं। इसके बावजूद दोनों धर्मगुरुओं को गंगा पूजन का आमंत्रण नहीं भेजा गया
शरद द्विवेदी, प्रयागराज। चंद दिनों बाद संगम तट पर तंबुओं की नगरी आबाद होगी। माघ मेला निर्विघ्न संपन्न हो, उसके लिए गुरुवार को प्रशासन ने गंगा पूजन किया, लेकिन जो धर्माचार्य मेला की शोभा हैं। जिन शंकराचार्य व धर्मगुरुओं के दर्शन को देशभर से श्रद्धालु आते हैं। प्रशासन ने उन्हें गंगा पूजन का आमंत्रण देना जरूरी नहीं समझा। वहीं, कुछ स्वयंभू महामंडलेश्वर, धर्मगुरु मौजूद थे, जिनका अक्सर विरोध होता है। इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है।
दोनों शंकराचार्य को भी नहीं किया गया आमंत्रित
सनातन धर्म में सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य होते हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती मेला क्षेत्र में प्रवास करके धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं। इसके बावजूद दोनों धर्मगुरुओं को गंगा पूजन का आमंत्रण नहीं भेजा गया। मनकामेश्वर मंदिर के प्रभारी स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि आमंत्रण आता तो वे पूजन में शामिल होते, लेकिन प्रशासन ने नहीं बुलाया। टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी प्रयागराज के प्रमुख संत हैं। माघ मेला में इनके शिविर में माहभर रामायण मेला, प्रवचन व योग होता है। स्वामी हरिचैतन्य ने बताया कि मेला प्रशासन ने गंगा पूजन की उन्हें सूचना नहीं दी। कुछ ऐसी ही उपेक्षा गायत्री गंगा चैरिटेबुल संस्थान के अध्यक्ष परमहंस प्रभाकर जी महाराज की हुई। वे मास मास में योग-ध्यान शिविर, भंडारा, यज्ञ व यज्ञोपवीत संस्कार कराते हैं। प्रयागराज में प्रवास करने के बावजूद प्रशासन ने उन्हें आमंत्रण नहीं भेजा। माघ मेला में महात्माओं के सबसे बड़े संगठन खाकचौक व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर सीताराम दास भी गंगा पूजन के लिए आमंत्रित नहीं किए गए। श्रीरामानुज नगर प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष जगदगुरु घनश्यामाचार्य का कहना है कि उन्हें भी गंगा पूजन का लिखित आमंत्रण नहीं मिला। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद के प्रयागराज के प्रतिनिधि आचार्य राजीव भारद्वाज ''बब्बन के अनुसार प्रयागराज पुरी पीठ के अंतर्गत आता है। इसके पीठाधीश्वर से परामर्श किए बिना मेला नहीं लगना चाहिए। सर्वोच्च धर्माचार्य होने के बावजूद प्रशासन ने पुरी पीठाधीश्वर को उपेक्षित कर दिया।
मेलाधिकारी का है कहना
मेरी जानकारी के अनुसार समस्त संतों को गंगा पूजन का आमंत्रण भेजा गया है। जो किसी कारणवश नहीं आए हैं उनका भी सम्मान है। हमें आशीर्वाद प्राप्त है।
- शेषमणि पांडेय, मेलाधिकारी